नई दिल्ली. निजता से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि घर के भीतर पोर्न देखना भारतीयों का मूल अधिकार नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर पोर्न देखना पूरी तरह से गैरकानूनी है। वरिष्ठ वकील आर्यमा सुंदरम ने 9 जजों की संविधान पीठ के समक्ष कहा कि निजी परिसर में भी पोर्न देखना किसी का मूल अधिकार नहीं है। यह संविधान पीठ देश में निजता के अधिकार पर सुनवाई कर रही है। आधार नंबर को अनिवार्य के सरकार के फैसले के खिलाफ विभिन्न अदालतों में याचिकाएं दाखिल की गईं थी।
सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान बेंच के समक्ष निजता के अधिकार मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि निजता के कई आयाम हैं। इसे मौलिक अधिकार की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। गुरुवार को केंद्र की ओर से दलीलें पूरी हो गईं। बहस के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मोबाइल नंबर का क्या प्रोटेक्शन है। राज्य को आधार के मामले में डाटा का वैध इंट्रेस्ट हो सकता है। लेकिन लोगों के डाटा के प्रोटेक्शन को सुनिश्चित करने के लिए उसके पास मजबूत तंत्र होना चाहिए। इस पर अटार्नी जनरल ने कहा कि इसके लिए मजबूत तंत्र मौजूद है। लेकिन जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति बैंक को ई-मेल या मोबाइल नंबर देता है तो बैंक को उसे किसी शेयर नहीं करना चाहिए। इसके बाद आधार प्राधिकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आधार के शेयरिंग कानूनों के बारे में बताया। जस्टिस बोब्डे ने कहा कि निजता की रक्षा के लिए ये कानून बनाए हैं तो इस अधिकार पर सवाल क्यों उठा रहे हैं।