देशभर में फैले बंगाल के सोने का काम करने वाले कारीगर अब मनरेगा के तहत ईंट पत्थर उठाने से लेकर गड्डे खोदने के काम में लगे हुए हैं। इनकी बारीक कारीगरी अब सीमेंट और सरिए उठाने में खप रही है।
धरती के सबसे करीब आ रहा है शुक्र ग्रह, इस दिन आसमान में दिखेगा अद्भुत नजारा पश्चिम बंगाल के बर्दवान जिले के जमालपुर ब्लॉक में स्थित सोजीपुर गांव के शेख औलाद अली पंजाब में सोने पर जटिल नक्काशी करने का काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते काम बंद हो गया और उन्हें अपने गांव वापस लौटना पड़ा।
घर आकर 14 दिन क्वारंटीन रहने के बाद औलाद अली ने अपने परिवार का पेट पालने के लिए मनरेगा में खुद का रजिस्ट्रेशन करा लिया। अब वे मनरेगा के तहत गड्ढे खोदने और नाली बनाने का काम कर रहे हैं।
ये कहानी अकेले औलाद अली की नहीं है। उनके जैसे हजारों की संख्या में ऐसे कारीगर हैं जिनकी कारीगरी से देशभर में सुंदर आभूषण दुनिया को आकर्षित करते थे। लॉकडाउन ने छीन लिया हुनर
अली के साथ ही गांव के 22 अन्य युवक भी सोने पर जटिल डिजाइन बनाने का काम करते हैं, लेकिन लॉकडाउन के उनसे उनका ये हुनर ही छीन लिया।
कोरोना से जंग जीतने के बाद फिर अस्पताल पहुंचे बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा, जानें फिर क्या हुआ लौटने का इंतजारअब इन लोगों को इंतजार है कि सब कुछ सामान्य हो और उनके मालिक उन्हें बुलाएं तो वह फिर से अपने काम पर लौट सकें।
मनरेगा में पैसे बहुत कम हैं
इन लोगों का कहना है कि सभी को मनरेगा के तहत काम नहीं मिलता है और जो काम मिलता है उसके पैसे भी कम है। कुछ लोगों ने तो अपने घर के आसपास नौकरियां भी तलाशनी शुरू कर दी हैं, ताकि वह ठीक तरह से अपने परिवार का पेट पाल सकें।
18 साल की कारीगरी 4 हफ्तों में खत्म
अली बताते हैं कि मैं सोने पर जटिल कारीगरी करता हूं और बीते 18 साल से काम कर रहा हूं। अपने इसी हुनर की वजह से बीते 6 साल से मैं पंजाब में ही रह रहा था।
कोई विकल्प भी तो नहीं
लेकिन अब कोरोना लॉकडाउन की वजह से मुझे अपने गांव में गड्ढे खोदने पड़ रहे हैं। मेरे हाथों को इस काम की आदत नहीं है लेकिन मेरे पास कोई विकल्प भी नहीं है।
दिवाली से पहले कोई उम्मीद नहीं
कारीगरों की मानें तो सोने का बाजार दिवाली से पहले शुरू नहीं होगा। ऐसे में बेहतर है कि तब तक बंगाल में ही कुछ काम किया जाए। सरकारी आंकड़े के अनुसार, बंगाल में करीब 10.5 लाख प्रवासी कामगार वापस लौटे हैं। इनमें से 4 लाख से ज्यादा मनरेगा लाभार्थियों में अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।