अब अमेरिका ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ( Hydroxychloroquine ) दवाइयों की मांग की है और नहीं देने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी है। जिसके बाद भारत सरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, पैरासिटामॉल समेत जरूरी दवाओं के निर्यात पर कुछ ढील देने का फैसला लिया है।
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सरकार का कहना है यह फैसला कोविड-19 ( COVID-19 In India) महामारी से लड़ने को लेकर देश की वैश्विक प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। आइए जानते हैं आखिर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट ( Hydroxychloroquine Tablets ) हैं क्या और क्यों अन्य देश भारत से इसकी मांग कर रहे हैं।
क्या है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन ( What is Hydroxychloroquine tablets ? )
अमेरिका समेत दुनिया के 30 देशों ने भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टेबलेट देने की मांग की है। इसकी एक वजह है कि भारत इस दवा का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (IPA) के मुताबिक दुनिया में होने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन सप्लाई का 70 फीसदी भारत बनाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( US President Donald Trump ) इसे कोरोना के इलाज के लिए कारगर मान रहे है। न्यूयॉर्क में लगभग 1500 कोरोना मरीजों का इलाज इस दवा से किया जा रहा है।
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ट्रंप का कहना है कि इसका परिणाम सकारात्मक मिल रहा है। बता दें कि ये एक एंटी मलेरिया ड्रग है। इसका इस्तेमाल ऑटोइम्यून रोगों ( Arthritis ) के इलाज में किया जाता है। यह दवा सार्स-सीओवी-2 पर असर डालता है। इसी वजह से इसका इस्तेमाल कोरोना मरीजों के लिए किया जाने लगा। अमेरिका के शोधकर्ताओं ने रिसर्च के बाद दावा किया है इस दवा से सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण को रोका जा सकता है।
दुनियाभर में बढ़ी मांग
कोरोना के चलते हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की डिमांड ( Hydroxychloroquine Demand ) पूरी दुनिया में बढ़ गई है। अमेरिका, ब्राजील, जर्मनी, स्पेन समेत 30 देशों ने भारत से इस दवा की मांग की है। भारत ने निर्यात के नियमों में थोड़ी ढील दी है। सरकार ने दवा निर्माता कंपनियों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के 10 करोड़ टेबलेट तैयार करने का ऑर्डर दिया है।