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भारत और चीन के बीच क्यों नहीं हो सकती है आर-पार की लड़ाई, पूर्व ले.ज. हुड्डा ने वजह बताई

लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) दीपेंद् सिंह हुड्डा ने एक वर्चुअल मीट के दौरान दी जानकारी।
दोनों परमाणु संपन्न शक्तियां भारत और चीन आर-पार का युद्ध ( India-China War ) नहीं कर सकते।
इस मीट में भारतीय सेना के पूर्व जनरल, पूर्व नौसेना प्रमुख, राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों रहे शामिल।

Why India and China can't have full-fledged war, explains Lt Gen (Retd) Hooda

Why India and China can’t have full-fledged war, explains Lt Gen (Retd) Hooda

नई दिल्ली। पिछले कई माह से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन के बीच जारी तनातनी क्या आर-पार की लड़ाई ( India-China War ) में बदल सकती है? क्या दोनों देशों के बीच बड़ा युद्ध हो सकता है? लोगों के मन में आ रहे ऐसे सवालों का जवाब देते हुए उत्तरी कमान के पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ और सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा ने कहा, “पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति जारी रहेगी और आसानी से नहीं हटेगी क्योंकि चीनी सेना (पीएलए) ने अड़ियल रुख अपनाया है और वह पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है।”
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वर्चुअल मीट में कही बात

अनुभवी आर्मी जनरल ने यह बात चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, घरुआन द्वारा आयोजित ‘द फ्यूचर ऑफ इंडो-चाइना रिलेशंस’ पर वर्चुअल मीट के दौरान कहीं। इस वर्चुअल मीट में भारतीय सेना के पूर्व जनरल, पूर्व भारतीय नौसेना प्रमुख, राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञों और पंजाब सरकार के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया। इन दिग्गजों ने छात्रों के साथ बातचीत करके उन्हें दो एशियाई शक्तियों के बीच जमीनी स्थिति के बारे में अवगत कराया।
रक्षा विशेषज्ञों ने लिया हिस्सा

भारत-चीन संबंधों पर वर्चुअल मीट में भाग लेने वाले अन्य महत्वपूर्ण लोगों में भारतीय नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल (सेवानिवृत्त) सुनील लांबा, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के पूर्व अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) परवीन बख्शी, ईस्टर्न कमांड के पूर्व जनरल ऑफिस कमांडिंग इन-चीफ, इंडियन आर्मी, भारत कर्नाड, नेशनल सिक्योरिटी एक्सपर्ट और सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, दिग्गज प्रोफेसर, सेक्रेटरी हायर एजुकेशन, वाटर रिसोर्सेज, माइंस एंड जियोलॉजी, पंजाब सरकार के पदाधिकारी शामिल रहे।
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दोनों देशों के बीच आर-पार की लड़ाई नहीं

वर्तमान युद्ध की स्थिति के बारे में ब्योरा देते हुए लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) हुड्डा ने कहा, “हालांकि पिछले कुछ महीनों के दौरान दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर, राजनयिक स्तर और मंत्रिस्तरीय वार्ता हुई है, फिर भी चीनी (PLA) ने जमीनी स्तर पर सेना को पीछे हटाने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर यथास्थिति बनाए रखने से इनकार कर दिया है। LAC पर कुछ स्थानीय घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन दोनों परमाणु शक्तियां भारत और चीन पूर्ण युद्ध नहीं कर सकते।”
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सीमा पर भारत को सामरिक लाभ

जनरल हुड्डा ने आगे कहा, “भारत और चीन दोनों ने भारी संख्या में सेना के जवानों को तैनात किया है, जिन्होंने आमने-सामने की स्थिति के लिए लंबे वक्त तक के लिए खुद को तैयार किया है, लेकिन भारतीय सेना को चीनी (PLA) की तुलना में एक सामरिक लाभ है, क्योंकि भारतीय सुरक्षा बलों को कठोर सर्दियों में उच्च ऊंचाई वाले इलाको और पहाड़ी पर परिचालन अनुभव है।”
दोनों देशों के बीच काफी व्यापार असंतुलन

पंजाब सरकार के सचिव, उच्च शिक्षा, जल संसाधन, खान और भूविज्ञान राहुल भंडारी ने आर्थिक मोर्चे के बारे में बात करते हुए कहा, “वर्तमान में भारत और चीन के बीच भारी व्यापार असंतुलन है, जिसका पता इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि चीनी उत्पादों की भारतीय बाजारों में 2.7 प्रतिशत की पैठ है, जबकि भारतीय वस्तुओं की चीनी बाज़ारों में मात्र 0.1 प्रतिशत की पैठ है। भारत के 68 फीसदी फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन और 90 फीसदी एंटीबायोटिक दवाएं वर्तमान में चीन से आ रही हैं।”
लेफ्टिनेंट जनरल DS हुड्डा
भारत को आत्मनिर्भर बनने में देर

उन्होंने आगे कहा, “भारत सरकार द्वारा सोशल एप्लिकेशंस पर प्रतिबंध लगाने से चीनी अर्थव्यवस्था पर बहुत असर नहीं पड़ा है, क्योंकि वर्तमान में हम बड़ी संख्या में माल जैसे सोलर कंपोनेंट, इलेक्ट्रॉनिक सामान, आईटी हार्डवेयर, टेलीकॉम कंपोनेंट्स, मोबाइल फोन, फ़र्टिलाइज़र आयात कर रहे हैं और भारत को इन चीजों में आत्मनिर्भर होने के लिए या नए साझेदारों की तलाश में जो हमारी प्रौद्योगिकी की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं, अगले 5-10 साल लग जाएंगे।”
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साइबर हमले के खतरे से बचने की तैयारी

चीन द्वारा साइबर हमले के संभावित खतरे के सवाल पर जवाब देते हुए, एडमिरल (सेवानिवृत्त) सुनील लांबा ने कहा, “भारत सरकार इस तथ्य के बारे में जागरूक है कि चीन ने हमारी प्रौद्योगिकी और संचार में गहन रूप से घुसपैठ की है, जिससे कंपोनेंट्स की आपूर्ति के माध्यम से कम्यूनिकेशन इको-सिस्टम में चीनी फर्म और हमारे शत्रुतापूर्ण पड़ोसी से साइबर हमले का खतरा वास्तविक है। हालांकि सरकार देशव्यापी अलर्ट बढ़ाकर और खुफिया एजेंसियों द्वारा निगरानी बढ़ाने के लिए पहले से कदम उठा रही है, लेकिन हार्डवेयर और प्रौद्योगिकी की स्थापना के मामले में बहुत कुछ किया जाना है।”
https://youtu.be/ovO3jEIXDaU

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