मोहल्ला क्लीनिक खोलने का कॉन्सेप्ट सबसे पहले दिल्ली में आप सरकार लेकर आई थी। जिसका सीधा से उद्देश्य लोगों को मोहल्ला स्तर पर मुफ्त में स्वास्थ सेवाएं उपलब्ध कराना था। यह एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जो लोगों को जुखाम बुखार जैसी मामूली बीमारियों से निजात दिलाने के लिए आप सरकार ने शुरु किए थे। यहां मरीज को दवा, डॉयग्नोस्टिक्स सहित चिकित्सकीय परामर्श फ्री में मिलते हैं।
मोहल्ला क्लीनिक को शुरु करने का उद्देश्य सरकारी अस्पतालों की भीड़ को कम करना था। जहां गंभीर बीमारियों से लेकर जुखाम बुखार से पीड़ित मरीज घंटो लाइन में खड़ा रहकर अपनी बारी का इंतजार करता है। कि कब डॉक्टर फ्री होगा और उसे देखेगा। ऐसे में मोहल्ला क्लीनिक जो दिल्ली की कुछ खास जगहों को चिन्हित कर खोले गए थे उन्होंने अस्पतालों पर मरीजों के दबाव को कुछ कम करने का काम किया।
मोहल्ला क्लीनिक पर शुरुआत से ही बवाल शुरु हो गया था। दिल्ली की केजरीवाल सरकार पर मोहल्ला क्लीनिक खोलने के बहाने भ्रष्टाचार फैलाने के आरोप शुरू में ही लगने लगे थे। मोहल्ला क्लीनिक पर डॉक्टरों द्वारा मरीजों की फर्जी एंट्री करने जैसे आरोप लग रहे हैं। मोहल्ला क्लीनिक की ओर से दावा किया गया था कि वहां एक मिनट में दो मरीजों का ईलाज किया जाता है।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मोहल्ला क्लीनिक को खोले जाने को लेकर भी काफी विवाद हुआ था। जिसमें हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला दिया गया। हाईकोर्ट का आदेश है कि स्कूलों को कोई भी डिस्पेंसरी नहीं खोली जाएगी। दिल्ली नगर निगम ने फुटपाथ पर खोले गए मोहल्ला क्लिनिकों पर भी आपत्ति जताई थी। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग में मौजूद एक सूत्र ने बताया कि एमसीडी के बाद दिल्ली विकास प्राधिकरण ने भी अपनी जमीनों पर मोहल्ला क्लीनिक बनाने को लेकर आपत्ति उठाई है। डीडीए ने कहा है कि दिल्ली स्वास्थ्य विभाग उसकी मंजूरी लिए बगैर इस प्रोजेक्ट पर आगे नहीं बढ़ सकता है।
मोहल्ला क्लीनिक फाइल की मंजूरी को लेकर आप विधायक सौरभ भारद्वाज के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी के 45 विधायक बुधवार को एलजी निवास पहुंचे। फाइल की मंजूरी की मांग को लेकर करीब 7 घंटे तक वहां जमे रहे। जिसके बाद वहां पुलिस को दखल देना पड़ा। आप पार्टी के लोग जहां बैठे थे वहां की बिजली काट दी गई।