दरअसल, मंलगवार को संयुक्त राष्ट्र में 39 देशों ने चीन में उइगुर मुस्लमानों ( Uyghur Muslims ) पर हो रहे अत्याचार का मामला उठाते हुए चीन को आड़े हाथों लिया है। सभी देशों ने शिनजियांग और तिब्बत में अल्पसंख्यक समूहों पर किए जा रहे जुल्म को लेकर चीन की जमकर आलोचना की।
United Nations ने दी चेतावनी, केरल-कर्नाटक में Al-Qaeda कर सकता है आतंकी हमले
इतना ही नहीं, हांगकांग में जबरन लागू किए गए नए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि इससे मानवाधिकारों पर बुरा असर पड़ेगा। इधर चीन की आलोचना होते देख बीजिंग का दोस्त पाकिस्तान ने मोर्चा संभालते हुए बचाव किया।
सभी देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसे जर्मनी के राजदूत क्रिसटोफ हेयूसगेन ( Ambassador Of Germany Christoph Heusgen ) ने संयुक्त राष्ट्र में पढ़ा। बयान पढ़े जाने के फौरन बाद चीन की साजिश में फंसे 55 देशों की तरफ से पाकिस्तान ने चीन का बचाव किया और हांगकांग मामले में दखलअंदाजी का विरोध किया।
39 देशों ने जारी किया संयुक्त बयान
आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के मानवाधिकार समिति की एक बैठक में कई यूरोपीय देशों, अमरीका, जापान समेत 39 देशों ने एक साझा बयान जारी किया। इसमें चीन से कहा गया कि वह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बेचलेट और स्वतंत्र पर्यवेक्षकों को शिनजियांग प्रांत में जाने की निर्बाध रूप से अनुमति दे।
इसके अलावा शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुस्लिमों और अस्पसंख्यक समुदाय के लोगों को कैद कर उनपर किए जा रहे अत्याचार को रोके। साझा बयान में कहा गया है कि हांगकांग की स्वायत्तता, आजादी और अधिकारों को फिर से बहाल किया जाए। इसके अलावा चीन हांगकांग की न्यायपालिका की स्वतंत्रता का सम्मान करे।
UN में ट्रंप ने की तेहरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने की वकालत, कहा- दुनिया के लिए खतरा है ईरान
शिनजियांग में बड़ी संख्या में मौजूद ‘पॉलिटकल री-एजुकेशन’ कैंपों पर चिंता जाहिर करते हुए 39 देशों ने मंगलवार को कहा कि यह एक विश्वसनीय रिपोर्ट है, जिसमें ये दावा किया गया है कि 10 लाख से अधिक मुसलमानों को इन कैंपों में कैद करके रखा गया है।
बयान में आगे कहा गया है कि इन लोगों के मानवाधिकारों को बुरी तरह कुचला जा रहा है और उनके धार्मिक आजादी पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। उन्हें न तो बोलने की और न कहीं आने जाने की आजादी है। शिनजियांग प्रांत में उइगुर मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं का जबरन गर्भपात कराया जा रहा है तो वहीं, पुरुषों की नसबंदी की जा रही है।