दरअसल, अमरीका ( America ) ने चीन से आग्रह किया है कि वह पाकिस्तान को दिए गए अपने ‘अव्यवहारिक व अनुचित’ कर्ज को माफ कर दें और अगर माफ न कर सके तो कम से कम इसकी शर्तों पर फिर से बात करे। इसके साथ ही अमरीका ने एक बार फिर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना ( CPEC ) की पारदर्शिता पर सवाल उठाया है।
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पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, अमरीकी विदेश विभाग की दक्षिण व मध्य एशिया मामलों की निवर्तमान सहायक सचिव एलिस वेल्स ने कहा, ‘कोविड-19 जैसे संकट के समय यह वास्तव मे चीन के लिए जरूरी हो गया है कि वह पाकिस्तान को उस बोझ से बचाने के लिए कदम उठाए जो परभक्षी, अव्यवहारिक व अन्यायपूर्ण कर्जो के कारण उस पर पड़ने जा रहे हैं।’
वेल्स ने दक्षिण व मध्य एशिया के पत्रकारों के साथ वीडियो लिंक के जरिए की गई विदाई प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘हमें उम्मीद है कि चीन या तो इन कर्जो को माफ कर देगा या फिर इसे पाकिस्तान के लोगों के लिए एक न्यायपूर्ण और पारदर्शी करार में बदलने के लिए वार्ता की शुरुआत करेगा।’
अमरीका ने CPEC पर उठाया सवाल
यह पहली बार नहीं है कि अमरीका, विशेषकर वेल्स ने पाकिस्तान को दिए गए चीनी कर्जे और सीपीईसी की व्यवहार्यता सवाल उठाया हो। इससे पहले भी वेल्स कई बार कह चुकी हैं कि सीपीईसी पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए उचित नहीं है।
वेल्स ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि इस परियोजना में चीन की सरकारी संस्थाओं को गैरमुनासिब तरीके से भारी मुनाफा पहुंचाया गया है और आज चीन के साथ पाकिस्तान का व्यापार असंतुलन बहुत अधिक हो गया है। चीन ने हमेशा अमरीका के इन दावों को खारिज किया है और बदले में चुनौती दी है कि वह भी उसकी तरह पाकिस्तान की आर्थिक मदद करके दिखाए।
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इसी हफ्ते सेवानिवृत्त होने जा रहीं वेल्स ने कहा कि अमेरिका सीपीईसी या किसी भी विकास परियोजना का समर्थन करता है बशर्ते इनके प्रावधान अतंर्राष्ट्रीय मानकों के अनुकूल हों जिनमें पर्यावरण और श्रमिक हितों के मुद्दे शामिल हैं।उन्होंने हाल में भारत के साथ सीमा पर तनाव के लिए चीन को आड़े हाथ लिया। उन्होंने कहा कि चीन के उकसावे और उसके परेशान करने वाले व्यवहार ने सवाल खड़े किए हैं कि वह (चीन) अपनी बढ़ती ताकत का कैसा इस्तेमाल करना चाह रहा है।
अफगान शांति बहाली में पाक की भूमिका सकारात्मक
वेल्स ने अफगानिस्तान में शांति प्रयासों में पाकिस्तान की भूमिका को सकारात्मक बताते हुए कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रणनीति में यह साफ कर दिया गया है कि पाकिस्तान को उन आतंकी संगठनों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करनी होगी जो अफगानिस्तान में संघर्ष पैदा कर रहे हैं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह भारत को तय करना है कि वह तालिबान से संबंध चाहता है या नहीं। लेकिन उन्होंने कहा कि भारत को अफगानिस्ता के उन सभी पक्षों से अच्छे संबंध रखने चाहिए जो वहां शांति प्रक्रिया का हिस्सा हैं।