वेंटिलेटर पर पहुंचे बच्चे को हॉस्पिटल में भर्ती कराकर भागा स्टाफ रितु व पंकज श्रीवास्तव ने पुलिस रिपोर्ट में बताया कि सांस की बीमारी के चलते उनकी मां लक्ष्मीदेवी को उन्होंने 22 अगस्त को कॉर्डियोलॉजी आईसीयू में भर्ती कराया था। कॉर्डियोलॉजिस्ट कपिल भार्गव की यूनिट में उनका उपचार डॉ. दिलीप जैन एवं डॉ. मुकेश शर्मा की देखरेख में हो रहा था। आरोप है कि दोनों ही अधीनस्थ चिकित्सकों ने परिजनों पर लक्ष्मी देवी को एक निजी हॉस्पिटल में ले जाने का दबाव बनाया। बाद में परिजनों ने जब खुद रैफर करने की मांग की तो चिकित्सकों ने 23 की रात पीडि़ता को जनरल वार्ड 34 में शिफ्ट कर दिया, जहां स्टाफ रवि श्रीमाली, अरविंद पारगी, ज्योति पारगी एवं हेमा मीणा ने ऑक्सीजन लगाने से मना कर दिया।
कमीशन के खेल में पेंशनर्स की जान से खिलवाड़ परिजनों ने बताया कि स्टाफ का कहना था कि ‘उन्हें ऑक्सीजन लगाने की ट्रेनिंग नहीं दी गई है’ तबीयत बिगडऩे पर परिवार ने 25 अगस्त को लक्ष्मी देवी को आईसीयू में पहुंचाया, जहां दोपहर 12 से 2 बजे के बीच खत्म ऑक्सीजन सिलेण्डर को बदलने में हुई देरी से मरीज की मौत हो गई। स्टाफ ने मौत के बाद परिजनों को वार्ड से बाहर धकेल दिया। परिजनों ने आरोप लगाया कि महिला ऑक्सीजन के लिए करीब 1 घंटे तक छटपटाती रही, लेकिन किसी को भी उस पर रहम नहीं आया।
एमबी चिकित्सालय: रात में दवा के लिए भटकते हैं मरीज दूसरी ओर, चिकित्सालय के एक जिम्मेदार ने मौके पर आकर मौत को जब ‘मामूली’ कहा तो विवाद तूल पकड़ गया। परिजनों ने उच्चाधिकारियों का रिश्तेदार होना बताते हुए विभागीय अधिकारियों से कार्रवाई करवाने की बात कही तो अधीक्षक के तेवर नरम पड़ गए। वह स्टाफ को फटकार लगाते दिखे। सूचना पर हाथीपोल थाना सीआई राजेश शर्मा मय जाप्ता मौके पर पहुंचे। बाद में पुलिस की समझाइश पर शव को मुर्दाघर में रखवाया गया।
ड्यूटी में शामिल यूएस प्रोटोकॉल के तहत मरीज हित में एडवांस ट्रीटमेंट एवं विकल्प से परिजनों को अवगत कराना हमारी ड्यूटी का हिस्सा है। इसको ध्यान में रखकर डॉ. दिलीप ने सलाह दी होगी। एेसा मेरा मानना है।
डॉ. सांवरमल जाट, अध्यक्ष, रेजीडेंट यूनियन खुद पता करूंगा परिजनों के आरोप गंभीर थे। मैंने स्टाफ को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराया है। मैं खुद इस मामले की तह तक जाकर हकीकत पता करूंगा। मरीजों के प्रति लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
डॉ. तरुण गुप्ता, अधीक्षक, एमबी हॉस्पिटल