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क्या वाकई बदल रहा है आतंक का गणित, कट्टरपंथी इस्लाम के बाद अब ईसाई वर्चस्व एक नया खतरा

दुनिया के कई देशों में बढ़ा है कट्टरपंथी ताकतों का वर्चस्व।
मुसलमानों पर कई देशों में लगातार हो रहे हैं हमले।
कट्टरपंथी इस्लाम के बाद ईसाई कट्टरपंथ का बढ़ता जा रहा है वर्चस्व।

Apr 27, 2019 / 10:10 pm

Anil Kumar

क्या वाकई बदल रहा है आतंक का गणित, कट्टरपंथी इस्लाम के बाद अब ईसाई वर्चस्व एक नया खतरा

नई दिल्ली। श्रीलंका ( Sri Lanka ) में ईस्टर के पवित्र मौके पर हुए सीरियल ब्लास्ट के बाद एक बार फिर से आतंक के स्वरूप को लेकर दुनियाभर में बहस शुरु हो गई है। हाल के दिनों में जिस तरह से आतंकी हमले हुए हैं उसमें कट्टरपंथ का बोलबाला रहा है। वैसे मुस्लिम कट्टरपंथी आतंकी संगठनों को पूरी दुनिया में आतंक फैलाने और वर्चस्व बनाने के लिए जाना जाता है, लेकिन कुछ वर्षों से यह देखने को मिल रहा है कि ईसाई धर्म से संबंध रखने वाला संगठन या शख्स ऐसे हमलों में शामिल रहे हैं। अब ऐसे में एक नया सवाल उभर कर सामने आया है कि क्या वाकई बदल रहा है आतंक का गणित? और क्या कट्टरपंथी इस्लाम के बाद अब ईसाई वर्चस्व एक नया खतरा है? इस सवाल के पीछे कई कारण है..

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न्यूजीलैंड हमला

न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में दो मस्जिदों में हुए हमले में 50 लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले को जिस शख्स ने अंजाम दिया था वह ईसाई धर्म से संबंध रखता है। हमले के बाद शख्स ने खुद को हिंसक दक्षिणपंथी विचारधारा वाला बताया था। मॉरिसन ने कहा था कि वह शख्स ‘दक्षिणपंथी आतंकवादी’ है। हमलावर ऑस्ट्रेलियाई का रहने वाला है।

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सिनाई मस्जिद हमला

24 नवम्बर 2017 को मिस्र के उत्तर सिनाई प्रान्त में बिर अल-अबेद के निकट अल-रावदा मस्जिद पर जुम्मे की नमाज़ के दौरान 40 बन्दूकधारियों ने हमला कर दिया था। इस हमले में 270 लोगों की मौत हो गई थई। यह मस्जिद सिनाई प्रायद्वीप में सूफीवाद का जन्मस्थली माना जाता है। इस हमले के पीछे भी माना जाता है कि ऐसे समूह का हाथ था जो दक्षिणपंथी विचारधारा से प्रेरित था।

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ब्रिटेन के पांच मस्जिदों पर हमला

बीते महीने मार्च में ब्रिटेन के पांच मस्जिदों में हमले किए गए थे। हालांकि इस हमले में किसी तरह से कोई भी हताहत नहीं हुआ था। लेकिन इस हमले में शामिल लोगों के बारे में यही कहा गया कि ये दक्षिणपंथी विचारधारा वाले हैं।

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स्पेन में हमला

स्पेन में बीते डेढ़-दो वर्षों के अंदर ऐसे कई मामले सामने आए हैं। तीन बड़े हमले ऐसे थे जिसमें मुस्लिमों को निशाना बनाया गया था। इस हमले में 9 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें हमला करने वाला शख्स का संबंध ईसाई धर्म से था।

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फ्रांस में हमला

फ्रांस में भी मुस्लिमों को लेकर कई हमले हो चुके हैं और लोग मस्जिदों में अमर्यादित कृत्य कर चुके हैं। एक मामले में फ्रांस के मध्य क्षेत्र बोलिस स्थित एक मस्जिद का अपमान किया गया था। फ्रांस में इस्लाम विरोधी कुछ तत्वों ने रात के समय एक पिग को काट के उसके खून और मटन से इस मस्जिद को नापाक कर दिया था। इसके अलावा बीते वर्ष ही मुस्लिमों पर हमले के कई मामले दर्ज किए गए थे। इसमें भी हमलावर का संबंध ईसाई धर्म से था।

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अमरीका में हमला

अमरीका ( America ) में भी मुस्लिमों को लेकर कोई अच्छा रिकॉर्ड नहीं रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( president Donald Trump ) खुद मुस्लिमों को लेकर अपनी मंशा जाहिर कर चुके हैं और इस संबंध में कई देशों के मुस्लिम नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा चुका हैं। अभी ताजा मामले में आज ही (शनिवार) को एक शख्स ने राह चलते आठ लोगों को अपनी गाड़ी से सिर्फ इसलिए कुचल दिया, क्योंकि उसे यह महसूस हुआ के ये सभी मुसमान हैं।

 

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