कोरोना का खुलासा करने वाले डॉक्टर की मौत, इलाज के वक्त काली पड़ गई थी स्किन मालूम हो कि जानवरों पर की गई स्टडी में पाया गया कि Ibuprofen से कोरोना मरीजों के बचने की संभावना 80 फीसदी बढ़ सकती है। इसलिए वैज्ञानिकों ने इस पर भरोसा जताया है। ये बेहद सस्ती है। बाजार में इसकी एक टैबलेट की कीमत एक रुपए है। लंदन के गाइज एंड सेंट थॉमस हॉस्पिटल और किंग्स कॉलेज के डॉक्टरों की टीम का मानना है कि पेन किलर और एंटी इन्फ्लैमेटरी दवा इबुप्रोफेन की मदद से कोरोना मरीजों की सांस लेने की समस्या को दूर किया जा सकता है।
ब्रिटेन के कुछ डॉक्टरों का मानना है कि इस सस्ती दवा से कोरोना मरीजों को राहत मिलेगी। इससे उन्हें वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ट्रायल के दौरान आधे कोरोना मरीजों को सामान्य इलाज के साथ इबुप्रोफेन दवा दी जा रही है। डॉक्टरों ने बताया कि कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले इबुप्रोफेन की जगह, इसी दवा का एक खास फॉर्मुलेशन ट्रायल के दौरान इस्तेमाल किया जाएगा।
गौरतलब है कि इससे पहले कोरोना वायरस के शुरुआती दिनों में Ibuprofen के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी। फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री ओलिवियर वेरन कहना था कि ये दवा कोरोना मरीजों के संक्रमण को बढ़ा सकती है। इसलिए इसका इस्तेमाल खतरनाक साबित हो सकता है।