कोई व्यक्ति वायरस की कितनी मात्रा से संक्रमित होता है उसे वायरल लोड कहा जाता है। इसी के जरिए मरीज हल्के से लेकर गंभीर रूप से बीमार हो सकता है। एक बार वायरस शरीर में पहुंच जाता है तो सेल डिविजन की मदद से अपनी प्रतिकृतियां बनाता है। प्रोफेसर माटेओ का कहना है कि नए रोगियों में बहुत कम वायरल लोड मिल रहा है, जो इस बात का सुबूत है कि कोरोना कमजोर पड़ा है।
प्रोफेसर का कहना है कि हालात तेजी से सुधर रहे हैं। कोविड-19 में हुए म्यूटेशन के कारण यह कमजोर हुआ है। हालांकि इसके फैलने की रफ्तार बढ़ी है, मगर इससे लोगों के शरीर ने लड़ना सीख लिया है। म्यूटेशन के कारण इसकी फेफड़ों पर हमला करने की ताकत भी कमजोर हुई है। इसके अलावा साफ-सफाई का ख्याल रखने से वायरस बॉडी पर अपनी पकड़ नहीं बना पा रहा है।