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नासा ने इसरो के साथ साझा किया मार्स रोवर का डेटा, भारत को मिलेगा ये लाभ

मंगल मिशन मार्स पर्सिवरेंस रोवर 18 फरवरी को लाल ग्रह की सतह पर उतरा था। मगर इस सफलता से अमरीका ही नहीं भारत को भी फायदा होने वाला है।

नई दिल्लीMar 31, 2021 / 10:39 pm

Mohit Saxena

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नई दिल्ली। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने हाल ही में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। उसने अपना मंगल मिशन मार्स पर्सिवरेंस रोवर 18 फरवरी को लाल ग्रह की सतह पर उतार दिया। मगर इस सफलता से अमरीका ही नहीं भारत को भी फायदा होने वाला है। गौरतलब है कि नासा ने भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो सहित, यूरोपियन स्पेस एजेंसी, यूएई की स्पेस एजेंसी और चीन की स्पेस एजेंसी सीएनएसए CNSA को मार्स पर्सिवरेंस रोवर से जुड़े डेटा साझा किए हैं।
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इसका सबसे बड़ा फायदा से ये होने वाला है कि इन सभी एजेंसियों के सैटेलाइट्स और स्पेसक्राफ्ट आपस में भिड़ेंगे नहीं। चीन, भारत, यूएई और यूरोप के मार्स भी मंगल के चक्कर लगा रहे हैं। नासा के अनुसार ये सुरक्षा के साथ वैज्ञानिक मिशन के लिए बेहद जरूरी है।
समझौते पर हस्ताक्षर किए थे

भारत एकमात्र ऐसा देश है और ISRO पहली स्पेस एजेंसी, जिसे मंगल मिशन पर पहली बार में ही सफलता हासिल हो गई थी। 30 सितंबर 2014 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा (NASA) के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत धरती और मंगल ग्रह के मिशन में साथ मिलकर काम करना होगा। उस समय के इसरो चीफ रहे डॉ. के. राधाकृष्णन और नासा के मुखिया रहे चार्ल्स बोल्डेन ने मुलाकात कर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
नासा-इसरो मार्स वर्किंग ग्रुप

टोरंटो में इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस में शामिल दोनों वैज्ञानिक अलग से मिले। दोनों ने एक चार्टर पर हस्ताक्षर किया था। नासा और इसरो ने मिलकर नासा—इसरो मार्स वर्किंग ग्रुप NASA-ISRO Mars Working Group तैयार किया। इसका मकसद था दोनों देशों की स्पेस एजेंसियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना था। इसके साथ एकदूसरे से जरूरी डेटा और जानकारियां शेयर करनी थी।
मंगलयान-2 को अत्याधुनिक बनाया जा सकता है

नासा के मिशन से इसरो मंगलयान-2 मिशन को फायदा पहुंच सकता है। उसे नासा के मार्स पर्सिवरेंस रोवर से मिलने वाली जानकारियों से फायदा मिलेगा। इससे मंगल ग्रह के मौसम,वातावरण, वायुमंडल आदि में हो रहे बदलाव की जानकारी मिलेगी। साथ ही नासा इसरो के साथ मिलकर मंगलयान-2 की टेक्नोलॉजी को अत्याधुनिक बनाया जा सकता है। इससे भारत और इसरो की मंगल ग्रह पर लैंडर उतारने का सपना भी पूरा हो सकता है।
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