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मसूद अजहर मामला: भारत की कोशिशों से तिलमिलाए पाकिस्तान और चीन, आतंकवाद के राजनीतिकरण का आरोप

चीन और पाकिस्तान ने दी अमरीका को धमकी
आतंकवाद और मसूद अजहर वाले प्रस्ताव का दुनिया पर बुरा असर
अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस के नए प्रस्ताव का विरोध

Mar 31, 2019 / 08:53 am

Siddharth Priyadarshi

मसूद अजहर मामला: भारत की कोशिशों से तिलमिलाए पाकिस्तान और चीन, आतंकवाद के राजनीतिकरण का आरोप

वाशिंगटन। यूएन में भारत के हमलों से चीन और पाकिस्तान दोनों तिलमिला गए हैं। चीन और पाकिस्तान ने चेतावनी दी है कि भारत संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी मशीनरी का राजनीतिकरण कर रहा है और इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा। पाकिस्तान ने कहा है कि आतंकवाद पर अधिक जोर देना देशों अखंडता से समझौता है। चीन ने कुछ नर्म रुख अपनाते हुए कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में किसी प्रस्ताव को बलपूर्वक आगे बढ़ाना कोई अच्छी परंपरा नहीं है। पाक राजदूत लोधी ने सुरक्षा परिषद को यह झूठा आश्वासन दिया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद की फंडिंग को अपराध के दायरे में रखा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार ने एफएटीएफ सिफारिशों और अपने अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को लागू करने के लिए नए कानून बनाए हैं।

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तिलमिलाए पाकिस्तान और चीन

गुरुवार दोपहर को आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने और मुकाबला करने पर सुरक्षा परिषद की बहस में बोलते हुए पाकिस्तान की राजदूत मालेहा लोधी ने कहा कि एफएटीएफ और प्रस्ताव 1267 जैसे प्रतिबंधों को कुछ देशों द्वारा अपने भू-राजनीतिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए राजनीतिक उपकरणों के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमरीका द्वारा सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए सावधानी बरतने की आवश्यकता है। बता दें कि यह प्रस्ताव आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए लाया गया है। उधर गुरुवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि यूएनएससी में सीधे तौर पर एक संकल्प को “जबरदस्ती आगे बढ़ाना” संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद-रोधी समिति के अधिकार को कमजोर करता है।

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आतंकवाद के राजनीतिकरण का आरोप

आपको बता दें कि बुधवार को अमरीका ने सीधे UNSC में एक प्रस्ताव रखा, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा वैश्विक आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने की मांग की गई। इससे पहले 13 मार्च को, अमरीका, ब्रिटेन और फ्रांस ने प्रस्ताव संख्या 1267 को वोटिंग के लिए प्रस्तुत किया था। लेकिन चीन ने कथित रूप से अपनी विवेकाधीन शक्तियों का इस्तेमाल कर इसे तकनीकी रूप से डंप कर दिया। चीन ने उस स्थिति की समीक्षा करने का भी वादा किया था, जिसमें मसूद अजहर के खिलाफ भारतीय आरोप शामिल हैं। अब चीन का आरोप है कि चीनी निर्णय की प्रतीक्षा करने के बजाय, अमरीका ने सुरक्षा परिषद में नया प्रस्ताव पेश कर दिया। हालांकि वाशिंगटन और नई दिल्ली दोनों को उम्मीद है कि चीन सीधे टकराव से बच जाएगा और प्रस्ताव को पारित होने देगा।

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