भारत के लिए खास है ये बातें
आपको बता दें कि नॉर्डिक देश पहले से ही अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संरक्षणवादी रवैये से परेशान हैं और उनको भारत के साथ इस शिखर सम्मेलन से काफी उम्मीदें हैं। भारत ने जनवरी में वर्ल्ड इकोनोमिक फॉरम में कहा था कि भारत मुक्त व्यापार की व्यवस्था के लिए हमेशा खुला है, हालांकि भारत ने यूटर्न लेते हुए तीन दशकों में अपने उच्चतम स्तर पर आयात शुल्क बढ़ा दिए हैं। हालांकि निर्यात के मामले में सबसे ऊपर रहने वाले नॉर्डिक देशों को अति संरक्षणवाद की ओर बढ़ रहे देशों से सावधान रहने की जरुरत हैं। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि नॉर्डिक देशों और भारत के बीच मुक्त व्यापार को लेकर अहम समझौते हो सकते हैं।
भारत के लिए यह एक सुनहरा मौका है जब वे मुक्त व्यापार के तहत अहम समझौता कर सकते हैं। नॉर्डिक देशों से पहले यूरोपियन यूनियन के साथ भारत के मुक्त व्यापार समझौता है लेकिन अबतक भारत इसका संपूर्ण लाभ नहीं उठा पाया है। नॉर्डिक देशों के करीब 27 मीलियन लोग भारत के साथ व्यापार करते हैं, जो कि लगभग कनाडा की संख्या के बराबर है। जाहिर है इस मौके का फायदा उठाकर भारत करीब 2.3 ट्रिलियन डॉलर की व्यापार को और आगे बढ़ा सकता है। डेनमार्क के साथ वाइंडमील और फूड प्रोसेसिंग मशीनरी जैसे समझौते कर सकता है तो वहीं स्वीडन भी भारत के साथ व्यापार को बढ़ाना चाहता है।
इस दौरे से भारत और स्वीडन के बीच आपसी रिश्ते को मिलेगी मजबूती: पीएम मोदी
सुरक्षा की दृष्टि से कितना है महत्वपूर्ण
प्रधानमंत्री मोदी का नॉर्डिक देशों का दौरा सामरिक और सुरक्षा की दृष्टि से भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है। सूत्रों के मुताबिक भारत और स्वीडन के बीच द्वीपक्षीय समझौते होने हैं जिसमें सुरक्षा और तकनीक से जुडे मामले शामिल हैं। इस समझौते के तहत स्वीडीस कंपनी साब भारत में मेक इन इंडिया के तहत फाइटर जेट का निर्माण करेगी। आशा की जा रही है कि पीएम मोदी के इस दौरे में इस समझौते को पूर्ण कर लिया जाएगा। बता दें कि 2016 में स्वीडन के प्रधानमंत्री ने भारत दौरे के दौरान द्वीपक्षीय समझौतों पर बातचीत की थी। जिसमें संयुक्त रुप से शोध कार्यों को करने पर हस्ताक्षर किया गया था। साथ ही दोनों देशों ने सुरक्षा की दृष्टि से सीमा मुद्दों पर भी समझौते किए थे।