अमरीकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल कोनी फॉकनर ने शनिवार को कहा कि इस मदद का उद्देश्य यह था कि पाकिस्तान इस धनराशि का उपयोग देश के लिए जरूरी आवश्यक प्राथमिकताओं पर करेगा। लेकिन हाल के दिनों में ऐसा देखा गया है कि पाकिस्तान की आतंकियों से निपटने और उनके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करने की कोई मंशा नहीं है। फॉकनर ने कहा, “हम लगातार पाकिस्तान पर सभी आतंकवादी गुटों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनाते रहे लेकिन पाकिस्तान ने कुछ नहीं किया।अब हम इस 30 करोड़ डॉलर की धनराशि को रद्द कर रहे हैं और इसका इस्तेमाल अन्य जरूरी कार्यो पर करेंगे।”
बता दें कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान को पहले भी चेतावनी दी थी कि अगर देश से अंदर पनप रहे आतंकवाद का निपटारा नहीं किया तो उसे दी जानी वाली आर्थिक सहायता रोक दी जाएगी। अब आर्थिक मदद रद्द करने का फैसला ऐसे समय में आया है, जब अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो पाकिस्तान की यात्रा पर इस्लामाबाद पहुंचने वाले हैं। इससे पहले कुछ दिन पहले ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान पर धोखा देने के आरोप लगाते रहे हैं।
अमरीका के इस फैसले के बाद पाकिस्तान को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इस फैसले के बाद पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर काफी नकारात्मकता झेलनी पड़ सकती है। यहां तक कि पाकिस्तान के नए पीएम इमरान खान के लिए यह बेहद चुनौती पूर्ण स्थिति है। हालांकि सेना के इस फैसले को अभी कांग्रेस की अनुमति मिलना बाकी है लेकिन जानकारों का मानना है कि इस में तब्दीली होने के आसार कम ही हैं।