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US-Iran Tension: ईरान को दुनिया के नक्शे से मिटाना चाहता है अमरीका ?

US Drone को मार गिराने के बाद से ईरान और अमरीका में युद्ध का संकट बढ़ गया है
Iran और America के बीच तनाव का असर गल्फ देशों के अलावा बाकी दुनिया पर पड़ने लगा है

नई दिल्लीJun 24, 2019 / 07:29 am

Anil Kumar

डोनाल्ड ट्रंप और हसन रूहानी

US-Iran Tension: ईरान को दुनिया के नक्शे से मिटाना चाहता है अमरीका

नई दिल्ली। अमरीका और ईरान के बीच तनाव लगातार गहराता जा रहा है। अमरीकी ड्रोन को ईरान द्वारा मार गिरने के बाद से दोनों देशों के बीच जंग के हालात बन गए हैं। अलबत्ता अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump ) ने ईरान ( Iran ) के तीन ठिकनों पर हमला करने के आदेश भी दे दिए थे, लेकिन हमला होने के महज 10 मिनट पहले ट्रंप ने अपना फैसला बदल दिया।

ट्रंप ने बाद में इस अपने फैसले को बदलने के पीछे का कारण भी बताया। उन्होंने बताया ‘इस हमले में करीब डेढ़ सौ आम नागरिकों की मौत हो सकती थी। इसलिए उन्होंने सोचा कि ईरान ने केवल एक मानवरहित ड्रोन को मार गिराया है, और इसके जवाब में डेढ़ सौ लोगों की मौत हो, ये ठीक नहीं है। इसलिए फैसल बदल दिया।’

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अब सवाल उठता है कि आखिर अमरीका और ईरान के बीच इतना तनातनी का माहौल कैसे बना और क्यों अमरीका ईरान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है? आखिर ईरान ने अमरीकी ड्रोन या तेल टैंकरों को निशाना क्यों बनाया? इसके पीछे कई कारण हैं..

ईरान परमाणु समझौता

दरअसल, कथित तौर पर अनावश्यक रूप से यूरेनियम के उत्सर्जन को लेकर अमरीका ईरान से खफा था। लिहाजा 2015 में ईरान और दुनिया के बाकी मजबूत देशों के बीच एक समझौता हुआ। इस समझौते के तहत ईरान परमाणु परीक्षण के लिए यूरेनियम का उत्पादन नहीं करेगा।

बाद में जब 2016 में अमरीका में सत्ता बदली और ट्रंप राष्ट्रपति बने तो ईरान को लेकर उनकी सोच बदल गई। लिहाजा 2018 में अमरीका ने परमाणु समझौता तोड़ दिया और खुद उससे अलग हो गया और ईरान पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए। ट्रंप ने आरोप लगाया कि ईरान परमाणु समझौते को उल्लंघन कर रहा है।

हालांकि बाकी अन्य देशों ने अमरीका से विपरित मत रखते हुए कहा कि ईरान ने परमाणु समझौते का पालन किया है। इससे ईरान को काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है, जिसको लेकर अमरीका से तनाव बढ़ गया है।

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अंतर्राष्ट्रीय पाबंदी

ईरान को लेकर अमरीका ने कई तरह की पाबंदी लगा दी है। इससे ईरान की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। ईरान की अर्थव्यव्स्था चरमरा गई है। ईरान के लिए जरूरी है कि वह अमरीकी प्रतिबंधों को खत्म कराए, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था ठीक हो सके। लिहाजा ईरान ने दुनिया के बाकी देशों से अमरीका को समझाने व समस्या के हल निकालने की चेतावनी दी।

ईरान ने कहा कि यदि अमरीका आर्थिक पाबंदियों को नहीं हटाता है तो वह यूरेनियम और हैवी वाटर का उत्पादन फिर से शुरू कर देगा। इसपर फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन आदि देशों ने अमरीका से बातचीत करने की कोशिश की है।

तेल टैंकरों पर हमला

मध्य-पूर्व में ईरान का वर्चस्व

ऐसा माना जा रहा है कि मध्य पूर्व में ईरान के बढ़ते प्रभाव को लेकर अमरीका काफी चिंतित है। लिहाजा उसे नियंत्रित करने के लिए जरूरी है कि कुछ कार्रवाई की जाए। इसके अलावा यमन में हौती विद्रोहियों को ईरान का मिल रहे समर्थन को लेकर भी अमरीका काफी नाराज है।

ईरान के साथ अमरीके संबंध दशकों पहले से खराब रहे हैं। जब साल 1979 में ईरान में क्रांति आई थी तो उस दौरान लगभग 400 दिनों तक अमरीकी दूतावास में अमरीकियों को बंधक बनाकर रखा लगा था। इसको लेकर अमरीका आज भी ईरान से विरोध की भावना रखता है।

मध्य-पूर्व में इजराइल अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है, लेकिन राह में ईरान सबसे बड़ी बाधा है। इजराइल चाहता है कि अमरीका ईरान को उसके रास्ते से हटा दे। लिहाजा इजराइल ईरान को लेकर लॉंबिंग करता रहता है।

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यही परिणाम है कि अमरीका ईरान पर कई ऑपरेशन कर चुका है। 1990 से 1993 में जब भी ईरान ने न्यूक्लियर टेस्ट किया तो इजराइल को खतरा महसूस हुआ और उससे बचने के लिए अमरीका के साथ हमेशो कूटनीतिक चाल चलता रहा।

इसके अलावे अमरीका ईरान में सत्ता परिवर्तन चाहता है, क्योंकि ईरान की मौजूदा सरकार अमरीकी सोच के खिलाफ है। पहली बार 1953 में जब ईरान लोकतांत्रिक देश बना था तो उस वक्त अमरीका ने तख्तापलट करवाते हुए बादशाहियत को कायम किया था और ईरान की सत्ता मोहम्मद रज़ा पहलवी को सौंपी थी, जो हमेशा से अमरीका का समर्थन करता रहा है।

हालांकि जब 1979 से ईरान के हालात बदले, तब से लेकर अब तक अमरीका यही चाहता है कि ईरान में ऐसी सरकार हो जो उनका समर्थन करे।

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