हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ समय से चीन दक्षिण चीन सागर में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने में जुटा है। अमरीकी मीडिया की कुछ हालिया रिपोर्ट्स में भी ये दावा किया गया था कि चीन ने विवादित क्षेत्र में तीन जगहों पर मिसाइलें तैनात की हैं। गुरुवार को चीन ने खुद ही इन कयासों को पुख्ता करते हुए कहा कि उसका दक्षिण चीन सागर पर एकाधिकार है। इस क्षेत्र में वह किसी के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं कर सकता। उसने इस क्षेत्र के तीन द्वीपों पर घातक एंटी शिप क्रूज मिसाइलें और जमीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम तैनात कर दिया है। उसके इस कदम ने अमरीका को परेशानी में डाल दिया है। यही कारण है कि व्हाइट हाउस ने चीन के खिलाफ इतनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। अपने कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी दक्षिण चीन सागर पर चीन के बढ़ते कब्जे को लेकर विरोध जताया था। चीन वेस्टर्न पैसिफिक क्षेत्र में अपने कब्जे से अमरीका को हमेशा चुनौती देता रहा है।
अमरीकी मीडिया ने जानकारी दी थी कि चीन ने सिर्फ 30 दिनों के अंदर फियरी क्रॉस रीफ, सूबी रीफ और मिसचिफ रीफ पर मिसाइलें तैनात कर दी हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी कर साफ कर दिया है कि नान्शा द्वीप और इसके नजदीक के सभी द्वीपों पर चीन की संप्रभुता है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्त हुआ चुनयिंग ने कहा था कि चीन इस क्षेत्र में अपनी अखंडता और संप्रभुता बनाए रखने के लिए अपनी गतिविधियां जारी रखेगा। इस क्षेत्र में 7 आइलैंड, मिसाइल स्टेशन, हैंगर और रडार स्टेशन चीन पहले ही बना चुका है।
आपको बता दें कि दक्षिण चीन सागर करीब 35 लाख स्क्वेयर किमी एरिया विवादित है। इस पर चीन, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ताइवान और ब्रुनेई दावेदारी है। इस समुद्र से हर साल 5 लाख करोड़ यूएस डॉलर से ज्यादा का ट्रेड होता है। यहां तेल और गैस के बड़े भंडार हैं। अमरीका के मुताबिक इस इलाके में 213 अरब बैरल तेल और 900 ट्रिलियन क्यूबिक फीट नैचुरल गैस के भंडार है। वियतनाम इस इलाके में भारत को तेल खोजने की कोशिशों में शामिल होने का न्यौता दे चुका है। चीन ने 2013 के आखिर में एक बड़ा प्रोजेक्ट चलाकर पानी में डूबे रीफ एरिया को आर्टिफिशियल आइलैंड में बदल दिया था।