दरअसल किसी भी Blue Whale गेम के खिलाड़ी को अपने हाथ पर पिन से खुरचकर Blue Whale जैसा निशान बनाना होता है. इससे ये पहचान हो सकती है कि कोई बच्चा ब्लू व्हेल के खेल में शामिल है या नहीं.
प्रिंसिपल ने बताया महानगर के केसीएम स्कूल के प्रिंसिपल सुरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि इस समस्या का समाधान सिर्फ स्कूल स्तर पर ही नहीं हो सकता. इसमें अभिभावकों को भी जागरूक रहना पड़ेगा क्यूंकि बच्चा घर पर कितनी देर इन्टरनेट या मोबाइल इस्तेमाल करता है. इस पर परिजन ही नजर रख सकते हैं. जहाँ तक स्कूल में फोन के साथ इस तरह के गेम की बात है तो वो यहाँ इजाजत ही नहीं है. फिर भी हम लोग बच्चों की गतिविधियों को नोटिस करते हैं और शक होने पर उनके परिजनों को भी सूचना देते हैं. फ़िलहाल अभी तक यहाँ कोई ऐसा केस नहीं मिला है.
यहाँ बता दें की देश के अलग-अलग शहरों में कई स्कूल के छात्र Blue Whale गेम का शिकार बन गए. वहीँ अब पड़ोसी जनपद रामपुर में भी कुछ संदिग्ध मिलने के बाद सभी स्चूलों को अलर्ट भेजा गया है.
क्या होता है Blue Whale का खेल इस गेम में एडमिन एक टास्क देता है जिसमें कई पड़ाव हैं. सबसे पहला चैलेन्ज सुबह चार बजे उठना और दूसरा अपने दोस्तों को ये बताना कि आप उनसे कितनी नफरत करते हो. यही नहीं एक टास्क अपने हाथ पर एक विशेष कट लगाना होता है. जिसकी फोटो एडमिन को भेजनी पड़ती है. इसमें गेम खेलने वालों को इस तरह फंसाया जाता है कि उनका दिमाग सही से काम नहीं कर पाता, उन्हें रात को डरावनी फ़िल्में, या फिर एडमिन द्वारा दिया गया ऑडियो सुनना पड़ता है.
सबसे आखिर में ये शर्त होती है कि अगर गेम नहीं जीत पाए तो आत्महत्या करो. उसके लिए भी एडमिन जगह और तरीका बताता है.
फ़िलहाल इस गेम से अभिभावक खासा डरे हुए हैं क्यूंकि आज की तारीख में 8 से 14 साल के बच्चे खूब एंड्राइड इस्तेमाल कर रहे हैं. इसलिए ब्लू व्हेल के शिकार भी ज्यादातर इन्ही उम्र के बच्चे हुए हैं.