इस स्कूल का परीक्षा परिणाम केवल 20 फीसदी रहा। दूसरी ओर जिले में ऐसे 30 फीसदी से ज्यादा स्कूल हैं, जिनका के 60 फीसद से ज्यादा बच्चे बोर्ड परीक्षाओं में फेल हो गए हैं। कुछ ऐसा ही हाल है जिले के देवलालपुरा हायर सेकंडरी स्कूल का, जहां 18 शिक्षकों का स्टाफ है। इस एकीकृत स्कूल में कक्षा 1 से 12वीं तक की क्लास लगती है। कक्षा 12वीं में 34 छात्र-छात्रा थे, जिनमें से मात्र 11 पास हो पाए हैं, यानी करीब 68 फीसदी बच्चे बोर्ड परीक्षा में फेल हो गए हैं।
UP के बाद अब MP के मदरसों में भी राष्ट्रगान अनिवार्य? गृह मंत्री ने दिए संकेत
वहीं मुरैना जिले में हायर सेकंडरी व हाईस्कूलों की संख्या 182 हैं, इनमें से करीब लगभग 100 स्कूलों ने अब तक अपने रिजल्ट जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में दे दिया है। हालांकि इनमें से कई स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने रिजल्ट आने के 12 दिन तक बाद भी अपने परीक्षा परिणाम को लेकर शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कोई जानकारी नहीं दी है। जिन 100 स्कूलों की जानकारी दी उनका रिजल्ट करीब 40 फीसदी से कम रहा है।
कैलारस मॉडल स्कूल एक ऐसा इकलौता स्कूल है, जिसके 100 फीसदी बच्चे पास हुए हैं। इस स्कूल में 75 छात्र-छात्राएं में से 74 ने प्रथम श्रेणी में परीक्षा पास की है। जिन 80 से ज्यादा स्कूलों की जानकारी अब तक नहीं मिली है, उनमें कयास लगाए जा रहे हैं, कि इनका रिजल्ट निराशाजनक रहा है। कारण पूछा तो, बताया कि ज्यादातर स्कूलों ने स्टाफ कमी है, जबकि एकीकृत स्कूलों में यह व्यवस्था होती है कि अगर प्राइमरी स्कूल का शिक्षक पात्र है, तो वो हायर सेकंडरी स्कूलों के बच्चों को भी पढ़ा सकता है।