छतों से टपकता है बारिश का पानी, उसी में संचालित है सरकारी कॉलेज
– तीन साल बाद भी बानमोर सरकारी कॉलेज के लिए नहीं बन सकी बिल्डिंग- कॉलेज खोलकर व्यवस्थाएं करना भूला शासन- न स्थायी प्राध्यापक और न कर्मचारी
छतों से टपकता है बारिश का पानी, उसी में संचालित है सरकारी कॉलेज
मुरैना. पिछले तीन साल से शासकीय महाविद्यालय को स्वयं का भवन उपलब्ध नहीं हो सका है। बिल्डिंग न होने पर बानमोर गांव के मिडिल स्कूल के दो कक्षों में ही कॉलेज संचालित है। बारिश में स्कूल की छतों से पानी टपक रहा है, मजबूरन उसी में कॉलेज संचालित करना पड़ रहा है। कॉलेज के लिए स्थायी प्राचार्य और प्राध्यापक भी नहीं हैं। १५ अतिथि विद्वानों के सहारे कॉलेज का संचालन हो रहा है। महाविद्यालय में 107 छात्र-छात्राएं दर्ज हैं लेकिन कोरोना महामारी के चलते हैं कॉलेज में एक भी छात्र छात्राएं महाविद्यालय में पढऩे हेतु नहीं आ रहे हैं। महाविद्यालय में स्टॉफ के लिए पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है महाविद्यालय में उपस्थित अतिथि विद्वानों ने बताया है कि उन्हें शासन द्वारा उनको वेतन तो हर महीने दिया जा रहा है। लेकिन उनके बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। सारी बिल्डिंग में से बरसात के मौसम में पानी टपकता रहता है।
जानकारी के अनुसार 2018 में भाजपा के शासनकाल में उच्च शिक्षा मंत्री रहे जयभान सिंह पवैया तथा मंत्री रुस्तम सिंह द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। तथा उस समय उच्च शिक्षा मंत्री ने अपने उद्वोधन ने कहा था कि 1 वर्ष के अंदर उक्त महाविद्यालय की बिल्डिंग बनवा दी जाएगी। लेकिन अभी तक बिल्डिंग और स्टाफ के अलावा अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा नहीं हो सका। सिर्फ नाम का कॉलेज बनकर रह गया है। वर्तमान जनप्रतिनिधियों का भी इस कॉलेज की तरफ कोई ध्यान नहीं हैं।
निजी कॉलेज संचालकों को दबाव तो नहीं
कहते हैं कि बानमोर गांव का सरकारी कॉलेज विकतिस हुआ तो निजी कॉलेज संचालकों की दुकान बंद हो जाएंगी। इसलिए कुछ संचालक नहीं चाहते कि सरकारी कॉलेज का इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा हो। इसलिए तीन साल बाद भी सरकारी कॉलेज जहां था, वहीं पर है, उसमें विकास के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ है।
तीन साल में जमीन तक एलॉर्ट नहीं
भाजपा सरकार के कार्यकाल में बानमोर सरकारी कॉलेज खोला गया था और वर्तमान में भी भाजपा की ही सरकार है लेकिन तीन साल में कॉलेज का विकास तो दूर जमीन तक एलॉर्ट नहीं हो सकी है। जब तक जमीन चिन्हिंत नहीं होगी, बिल्डिंग कैसे बन सकती है। जमीन के लिए शासन व प्रशासन स्तर पर अभी तक कोई पहल नहीं की गई है।
कथन
– कॉलेज के लिए जमीन चिन्हिंत नहीं हो सकी है। इसलिए बिल्डिंग नहीं बन सकी है। हमने शासन प्रशासन को प्रस्ताव भेजा है लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है।
कमलेश श्रीवास्तव, प्रभारी प्राचार्य, शासकीय डिग्री कॉलेज, बानमोर
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