– रोहित तिवारी/ मुंबई ब्यूरो
बैनर : रोहित शेट्टी प्रोडक्शंस, रेड चिलीज एंटरटेनमेंट
निमार्ता : गौरी खान
निदेशक : रोहित शेट्टी
जोनर : ड्रामा
छायांकन : डुडले
गीतकार : अंतरा मित्रा, अरिजीत सिंह, अमित मिश्रा, अनुष्का मनचंदा, बेनी दयाल, कनिका कपूर और जोनिता गांधी
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती
स्टोरी : साजिद 1 और फरहाद
स्टारकास्ट : शाहरुख खान, काजोल, वरुण धवन, कृति सनोन, वरुण शर्मा, जॉनी लीवर, बोमन ईरानी, चेतना पांडे, विनोद खन्ना, कबीर बेदी, संजय मिश्रा, मुकेश तिवारी, मुरली शर्मा, पंकज त्रिपाठी, नवाब शाह और शावर अली
रेटिंग : ** स्टार
बोल बच्चन और चेन्नई एक्सप्रेस जैसी मसालेदार फिल्मों की अपार सफलता के बाद अब निर्देशक रोहित शेट्टी अपने चाहने वालों के लिए शाहरुख खान अभिनीत फिल्म दिलवाले लेकर आए हैं। उन्होंने इस फिल्म के जरिए ऑडियंस को एक्शन के साथ हंसाने का भी दमदार प्रयास किया है। साथ ही शेट्टी को अपने निर्देशन पर इस कदर भरोसा है कि उन्हें पूरा भरोसा है कि ऑडियंस इस फिल्म को हाथों-हाथ लेगी और जमकर एंटरटेन करेगी।
कहानी :
फिल्म की कहानी राज (शाहरुख खान) से शुरू होती है, जो आज बहुत ही शरीफ और नेक दिल इंसान है। वाकई में एक चोर मनी भाई (जॉनी लीवर) को अपने पूरे बटुए के रुपए ही दे देता है, वह भी सिर्फ मनी और उसके भाई के बीच प्रेम को अहसास करते हुए। राज आज एक हाई-फाई कार मोडीफिकेशन का कारोबार संभालता है और वह अपने भाई वीर (वरुण धवन) से बेहद प्यार करता है। अब कहानी फ्लैशबैक में… कालिया यानी राज पहले बहुत ही खूंखार डॉन का बेटा हुआ करता था। उस डॉन ने कालिया को सड़क से उठाकर अपना बेटा माना था और वीर को दूसरा बेटा। अब एक डील के तहत कालिया भाग रहा होता है कि उसकी गाड़ी से मीरा (काजोल) टकरा जाती है। बस, वहीं कालिया को मीरा से प्यार हो जाता है। फिर कालिया अपने सोने के असांडमेंट डील के लिए निकल पड़ता है, तभी उसका सामना अपने पिता डॉन के प्रतिद्वंद्वी डॉन की बेटी मीरा से ही सामना हो जाता है। बस, वहीं पर कालिया अपने सच्चे प्यार की खातिर टूटकर बिखर जाता है। अब वीर इशिता (कृति सनोन) से प्यार कर बैठता है, जो मीरा की बहन निकलती है। इसी के साथ कहानी आगे बढ़ती है और…।
अभिनय :
शाहरुख खान ने इस फिल्म से एक बार फिर खुद को प्रूफ कर दिखाया है कि वाकई में उनके चाहने वाले उन्हें ऐसे ही बादशाह खान नहीं कहते हैं। काजोल भी कई वर्षों बाद शाहरुख के कदम से कदम मिलाते हुए नजर आईं। फिल्म में वरुण धवन का अभिनय भी गजब का रहा। कृति सनोन और वरुण शर्मा अपने-अपने अभिनय से ऑडियंस का दिल जीतते दिखाई दिए। जॉनी लीवर अपने वही पुराने मजाकिया अंदाज में दिखाई दिए तो वहीं बोमन ईरानी किंग की भूमिका में गजब रहे। चेतना पांडे और विनोद खन्ना भी फिल्म में अपनी उपस्थित दर्ज कराने में सफल रहे। कबीर बेदी, संजय मिश्रा, मुकेश तिवारी समेत मुरली शर्मा और पंकज त्रिपाठी ने अपने अभिनय से फिल्म में चार चांद लगाने में काफी हद तक परिपूर्ण रहे। नवाब शाह और शावर अली भी कुछ अलग करते दिखाई दिए।
निर्देशन :
इसमें कोई दो राय नहीं है कि रोहित शेट्टी इस फिल्म में ऑडियंस को लुभाने में कुछ हद तक ही सफल रहे। यानी उन्होंने अपने निराले अंदाज में एक्शन का दबरदस्त तड़का तो जरूर लगाया है, लेकिन कहीं-कहीं पर वे थोड़ा असफल रहे। इस फिल्म में रोहित ने वाकई में कुछ अलग कर दिखाने की कोशिश की है, इसीलिए वे ऑडियंस की कहीं-कहीं पर वाहवाही बटोरने में थोड़ा सफल रहे। एक-आद जगह भले ही इनकी स्क्रिप्ट थोड़ी डगमगाती नजर आई, लेकिन इसकी कहानी भी ऑडियंस को आखिर दम तक बांधे रखने में किसी हद तक सफल रही। वैसे उन्होंने इससे यह तो जरूर प्रूव कर दिखाया है कि बॉलीवुड आज भी वही पुराने कलेवर को नए अंदाज में पसंद किया जाता है, यानी दर्शक भी शाहरुख और काजोल की जोड़ी को बड़े पर्दे पर देखने के लिए कायल हैं। बहरहाल, हम शरीफ क्या हुए, पूरी दुनिया ही बदमाश बन गई…और कहना कि कालिया आया था… जैसे कुछ एक डायलॉग्स कालिब-ए-तारीफ रहे, लेकिन अगर टेक्नोलॉजी और कॉमर्शियल अंदाज को छोड़ दिया जाए तो इस सिनेमेटोग्राफी कुछ खास करने में असफल रही। साथ ही पूरी फिल्म में कहीं न कहीं कोरियोग्राफ्री की भी थोड़ी कमी सी नजर आई। संगीत (प्रीतम चक्रवर्ती) तो ऑडियंस को भाता हुआ दिखाई दिया, लेकिन गाने की तुलना में थोड़े और प्रयास की जरूरत भी महसूस हुई।
क्यों देखें :
सदियों बाद शाहरुख और काजोल की बड़े पर्दे पर केमिस्ट्री देखने और रोहित शेट्टी के चाहने वाले सिनेमा घरों की ओर रुख कर सकते हैं। इसके अलावा अगर आप कुछ नया और परिवार के साथ फिल्म देखने का मन बनाते हैं तो शायद आपको कहीं असहजता सी महसूस हो सकती है।