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लॉलीपॉप डे : आज भी क्रेज, समय के साथ स्वरूप में आया बदलाव

टॉफी का बाजार बदला, कैंडी का आकार बदला लेकिन नहीं बदला तो लॉलीपॉप खाने का क्रेज। यही कारण है कि आज भी कैंडी के बाजार में करीब २० प्रतिशत मांग लॉलीपॉप की है।

उज्जैनJul 19, 2019 / 11:57 pm

Lalit Saxena

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उज्जैन. छोटी सी छड़ी के मुहाने पर स्वाद से भरा गोला या कोई अन्य आकार और लंबे समय तक जुबान को मिठास का मजा, लॉलीपॉप की इस खूबी ने ढेरों कैंडी से सजे बाजार में आज भी अपनी अलग ही जगह बना रखी है। टॉफी का बाजार बदला, कैंडी का आकार बदला लेकिन नहीं बदला तो लॉलीपॉप खाने का क्रेज। यही कारण है कि आज भी कैंडी के बाजार में करीब २० प्रतिशत मांग लॉलीपॉप की है।

बच्चों के लिए आज खास दिन है क्योंकि २० जुलाई को ही उनकी सबसे पसंदीदा कैंडी ‘लॉलीपॉपÓ का आविष्कार हुआ था। वर्षों पहले इजाद हुई लॉलीपॉप का आज भी उतना ही क्रेज के है, जितना पहले था। हो भी क्यों न, इसकी खासियत ही कुछ एेसी है जो सभी को, विशेषकर बच्चों को काफी आकर्षित करती है। कैंडी को खाने के लिए डंडी की सुविधा, चटकारे मारते रंग और लंबे समय तक चलने की इसकी खूबी मल्टीनेशनल कंपनियों के फैलते बाजार में भी फीकी नहीं पड़ी है। यही कारण है कि कई ब्रांड भी अपनी अन्य कैंडियों के साथ लॉलीपॉप बनाते हैं।

समय के साथ बदला स्वरूप

भारत में कभी शक्कर से बनी संतरे या अन्य फ्लेवर में कड़क गोले नुमा लॉलीपॉप बाजार में छाई हुई थी। ५० पैसे-१ रुपए की कीमत वाली यह लॉलीपॉप तब बच्चों की पहली पसंद थी। चॉकलेट का बाजार फैला और मल्टीनेशन कंपनियों ने जब बच्चों को ढेरों स्वाद का विकल्प दिया तब लॉलीपॉप के स्वरूप में भी बदलाव अया। न सिर्फ इसके आकार परिवर्तन हुआ बल्कि रंग, फ्लेवर से लेकर कीमत तक बदल गई। वर्तमान में एक रुपए से लेकर ५० रुपए तक की लॉलीपॉप बाजार में उपलब्ध है। इसमें सामान्य गोल आकार के अलावा, हार्ट शेप, रोस लॉलीपॉप, चॉकलेट लॉलीपॉप, प्लेट लॉलीपॉप, मल्टी शेप जेजी लॉलीपॉप आदि शामिल हैं। विक्रेता अक्षय जयसिंघानी बताते हैं, बाजार में २० से २५ फीसदी मांग अलग-अलग प्रकार की लॉलीपॉप की है।

स्वाद के साथ गिफ्ट में भी छाई लॉलीपॉप

लॉलीपॉप ने स्वाद व आकर्षण के चलते तो अपनी विशेष जगह बना ही रखी है, आकार के कारण अब यह गिफ्ट के रूप में भी उपयोग होने लगी है। बेकरी संचालक पुनीत बजाज बताते हैं, कई कंपनियां लॉलीपॉप को एेसे आकार में लांच कर रही हैं, जो स्वाद के साथ ही गिफ्ट के रूप में भी पसंद की जा रही हैं।

१९३१ में मिला नाम लॉलीपॉप
20 जुलाई को लॉलीपॉप डे मनाया जाता है। एक्स्ट्राऑर्डिनरी लिटिल क्रॉनिकल्स ऑफ द वल्र्ड बुक के मुताबिक, लॉलीपॉप का आविष्कार न्यू हेवन के कनेक्टिकट में रहने वाले जॉर्ज स्मिथ ने किया था। उन्होंने सबसे पहले 1908 में एक ऐसा चिप-चिपा द्रव तैयार किया, जो स्वादिष्ट और जी ललचा देने वाला था। उस वक्त इसे एक मिठाई के तौर पर उबाल कर बनाया गया था, लेकिन जब यह खाने में चलन में आ गया तो जॉर्ज ने इसे अलग पहचान देने का निर्णय लिया। उन्होंने 1931 में लॉलीपॉप नाम का ट्रेडमार्क अपने नाम करवा लिया। वैसे कहा ये भी जाता है कि खाने वाले लॉलीपॉप से पहले इसी नाम से एक पसंदीदा घुड़दौड़ होती थी।

इसके लंबे स्वाद न बदला अर्थ

लॉलीपॉप एक एेसी कैंडी है जो लंबे समय तक खाई जाती है। इसकी न्इसी खासियत के कारण वर्तमान में लॉलीपॉप के शब्द का अन्य अर्थों में भी उपयोग होने लगा है। प्रमुख उपयोग खोखले वादे या झूठे आश्वसानों को लेकर किया जाता है। यहां तक कि आइआइटी जोधपुर के विद्यार्थी तो पूर्व में लॉलीपॉप डे पर लॉलीपॉप खाकर विरोध तक जता चुके हैं।

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