scriptयहां मौजूद हैं राक्षस के बनाए शिवलिंग, शिव-पार्वती विवाह की अकेली मूर्ति | #Shivling made by Monster, narmada comes to himself Worship | Patrika News
MP Religion & Spirituality

यहां मौजूद हैं राक्षस के बनाए शिवलिंग, शिव-पार्वती विवाह की अकेली मूर्ति

दैत्य बाणासुर ने भगवान शिव का प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। उसने सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण किया व उनका रुद्राभिषेक कर कुण्ड में विसर्जित करता रहा।

Jul 04, 2016 / 02:39 pm

Lali Kosta

Lord shiva, Shivling, shiva, shiv-parvati, Monster, narmada, comes to himself, Worship, pooja, puja, belpatri, bhedaghat, chousath yogini mandir jabalpur, banasur

Lord shiva and other gods, Shivling, shiva, shiv-parvati, Monster, narmada, comes to himself, Worship, pooja, puja, belpatri, bhedaghat, chousath yogini mandir jabalpur, banasur

जबलपुर. देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न करना समस्त देवताओं की अपेक्षा सबसे आसान है। यही कारण रहा है कि उन्हें देव-दैत्य सभी ने प्रसन्न कर मनचाहा वरदान प्राप्त किया। संस्कारधानी जबलपुर के नर्मदा तट किनारे एक ऐसा शिव स्थान है जहां दैत्य द्वारा बनाए गए शिवलिंग आज भी देखे जा सकते हैं। यही नहीं इन शिवलिंगों का जलाभिषेक करने स्वयं नर्मदा आती हैं।

बाणासुर ने बनाए थे पार्थिव शिवलिंग
शहर से लगभग 22 किलोमीटर दूरी पर स्थित मां नर्मदा तट भेड़ाघाट अपनी संगमरमरी पहाडिय़ों के लिए विश्व प्रसिद्ध तो है ही साथ ही यहां का ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व भी लोगों की जिज्ञासा का केन्द्र बना रहता है। एक ऐसा ही नाम है बाण कुण्ड।

नर्मदा चिंतक पं. द्वारकानाथ शुक्ल शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि नर्मदा के इस स्थान पर दैत्य बाणासुर ने भगवान शिव का प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। उसने सवा लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण किया व उनका रुद्राभिषेक कर कुण्ड में विसर्जित करता रहा। इसके बाद से इस कुण्ड का हर पत्थर शिवलिंगनुमा गोल होने लगा, जिससे बाणासुर के नाम से इस कुंड को पहचाना जाने लगा।

bhedaghat

नहीं होते नुकीले पत्थर
नर्मदा तट के अन्य घाटों व स्थानों पर पाए जाने वाले पत्थर नुकीले व धारदार होते हैं। किंतु इस कुण्ड की विशेषता है कि यहां पाया जाने वाला हर पत्थर गोल व शिवलिंग के आकार का होता है। महंत धर्मेन्द्र पुरी का कहना है चूंकि बाणासुर ने रुद्राभिषेक कर इस कुंड में पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन किया था, जो प्राण प्रतिष्ठित कहलाते हैं। ऐसे में बाण कुण्ड का हर पत्थर स्वयं प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग है। इनकी स्थापना बगैर प्राण प्रतिष्ठा पूजन से की जा सकती है। यही वजह है कि कुण्ड आने वाले लोग यहां से पिंडी ले जाना नहीं भूलते।

bhedaghat

शिव विवाह प्रसंग की एकमात्र प्रतिमा 
पुरात्व विशेषज्ञ राजकुमार गुप्ता ने बताया 8वीं शताब्दी में कल्चुरी काल के राजा नृसिंहदेव की माता अल्लहड़ देवी ने प्रजा की सुख-शांति के लिए शिव पार्वती मंदिर का निर्माण कराया था। वहीं प्रमुख पुजारी महंत धर्मेंद्रपुरी का कहना है कि इस स्थल पर सुपर्ण ऋषि ने भगवान शिव की आराधना की थी। भगवान शिव, माता पार्वती ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए। ऋषि ने उन्हें अनुष्ठान तक इसी स्थान पर रुकने के लिए कहा और नर्मदा में जल समाधि ले ली। तब से भगवान माता पार्वती के साथ यहीं के होकर रह गए। इन्हें कल्याणसुंदरम भी कहा जाता है।

मंदिर में विद्यमान शिव विवाह के अवसर की है और यह संपूर्ण भारत में इकलौती प्रतिमा है। इनकी बारात में आई योगिनी बाहर प्रांगण में विराजमान हैं। सावन सोमवार, कार्तिक पूर्णिमा, शिवरात्रि, बसंत पंचमी, पुरुषोड्डाम माह में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इनके पूजन दर्शन से भक्तों का कल्याण निश्चित है। स्थापत्यकला का बेजोड़ नमूना आज भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।

bhedaghat

Home / MP Religion & Spirituality / यहां मौजूद हैं राक्षस के बनाए शिवलिंग, शिव-पार्वती विवाह की अकेली मूर्ति

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो