राज्य सरकार और मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने सातवें वेतन आयोग से आज भी हजारों कर्मचारियों को वंचित रखा था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बीएमसी ने अपने कर्मचारियों के लिए 7वां वेतन आयोग कई साल पहले ही लागू कर दिया। लेकिन निजी रूप से वित्त पोषित शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के दायरे से छह साल तक बाहर रखा। जिसके बाद शिक्षक एसोसिएशन ने इस अन्याय के खिलाफ मजबूती से अपनी आवाज उठाई।
पिछली सरकार में जब मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शहरी विकास मंत्री थे तो उन्होंने इस मुद्दे पर बैठक कर वेतन आयोग लागू करने का आदेश दिया था, लेकिन नगर निगम ने इसे लागू नहीं किया। हालांकि अब शिक्षा विभाग ने नगर निगम को अपने फंड से वेतन आयोग लागू करने के निर्देश जारी किये है। अब सातवां वेतन आयोग के लागू होने से हजारों शिक्षकों व कर्मचारियों को सीधे तौर पर इसका फायदा मिलेगा।
गौरतलब हो कि केंद्र सरकार ने 2014 में सातवें वेतन आयोग की घोषणा की थी। जबकि यह 1 जनवरी 2016 से लागू किया गया था। हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय कर्मचारियों एवं पेंशनधारियों के लिए महंगाई भत्ता (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) को चार प्रतिशत और बढ़ा दिया। जो अब बढ़कर 38 फीसदी हो गया है। नई दर 1 जुलाई 2022 से लागू मानी जाएगी। इससे सालाना सरकारी खजाने पर 12,852 करोड़ रूपये का बोझ पड़ेगा।