मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पार्टी के एक वर्ग का मानना है कि उद्धव सरकार में शामिल उनके मंत्रियों को फैसले से दूरी बनानी चाहिए थी। महाराष्ट्र में कांग्रेस के कुछ नेताओं ने केसी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे का भी रुख किया था, लेकिन हाई कमान इस मामले में कोई दखल नहीं देना चाहता था।
उद्धव ठाकरे ने उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव और नवी मुंबई हवाई अड्डे का नाम बदलकर डीबी पाटिल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी कर दिया गया है। इस फैसले को लेकर समाजवादी पार्टी भी नाखुश है. सपा विधायक अबू आसिम आजमी ने उद्धव सरकार के औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने के फैसले की निंदा की है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पार्टी हाई कमान को इस बात की आशंका थी कि अगर पार्टी इस फैसले का विरोध करती है, तो उसे हिंदू समुदाय की तरफ से विरोध का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई पहले भी इन स्थानों के नाम बदलने की बात का विरोध कर चुकी है।
उद्धव सरकार के इस फैसले के बाद पार्टी ने बैठक बुलाई है। जिले के नामकरण को लेकर कांग्रेस के भीतर मतभेद है। बैठक में औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने को लेकर कांग्रेस के मुस्लिम विधायक और नेता अपना विरोध दर्ज कराएंगे। इस बैठक में बालासाहेब थोराट अशोक चौहान सहित कई कांग्रेस नेता मौजूद रहेंगे।
पार्टी के एक नेता ने बताया कि उन्होंने कांग्रेस को इसमें शामिल कर लिया। हिंदुत्व को लेकर शिवसेना अच्छी नजर आना चाहती थी। अब कांग्रेस भी इस फैसले का हिस्सा बन गई है। बता दें कि साल 2018 में केंद्र सरकार ने देश के 25 शहरों और गांवों के नाम बदलने को मंजूरी दे दी है। केंद्र के इस फैसले का कांग्रेस ने खुलकर विरोध किया था। कांग्रेस ने बीजेपी आरोप लगाए थे कि बीजेपी भारत के सम्मान, पहचान, चरित्र या परिभाषा को नहीं समझती है।