परीक्षित कथा का भी किया वर्णन भागवत कथा में उन्होंने आगे कहा कि शुकदेव जी महाराज परीक्षित से कहते हैं, राजन जो इस कथा को सुनता है उसे भगवान के रसमय स्वरूप का दर्शन होता है, उसके अंदर से काम हटकर श्याम के प्रति प्रेम जाग्रत होता है। जब भगवान प्रकट हुए तो गोपियों ने भगवान से तीन प्रकार के प्राणियों के विषय में पूछा। एक व्यक्ति वो हैं जो प्रेम करने वाले से प्रेम करता है, दूसरा व्यक्ति वो है, जो सबसे प्रेम करता है, चाहे उससे कोई करे या न करे। तीसरे प्रकार का प्राणी प्रेम करने वाले से कोई सम्बन्ध नहीं रखता और न करने वाले से तो कोई संबंध हैं ही नहीं। आप इन तीनों में कौन से व्यक्ति की श्रेणियों में आते हो? भगवान ने कहा कि गोपियों! जो प्रेम करने वाले के लिए प्रेम करता हैं वहां प्रेम नही हैं वहां स्वार्थ झलकता है। दूसरे प्रकार के प्राणियों में हैं माता-पिता और गुरुजन। संतान भले ही मन में अपने माता-पिता के, गुरुदेव के प्रति प्रेम हो या न हो। लेकिन माता-पिता और गुरु के मन में पुत्र के प्रति हमेशा कल्याण की भावना बनी रहती है। लेकिन तीसरे प्रकार के व्यक्ति किसी से प्रेम नहीं करते। श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस द्वारिका लीला, सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष, व्यास पूजन पूर्णाहुति का वृतांत सुनाया जाएगा।