scriptभक्ति सभी सिद्धियों को देने वाली है | Devotion is to give to all accomplishments | Patrika News
मुंबई

भक्ति सभी सिद्धियों को देने वाली है

श्रीमद् भागवत कथा: आज द्वारिका लीला, सुदामा चरित, परीक्षित मोक्ष के साथ पूर्णाहुति

मुंबईDec 13, 2018 / 09:52 pm

arun Kumar

Devotion is to give to all accomplishments

Devotion is to give to all accomplishments

विश्व शांति सेवा समिति की ओर से भायंदर पूर्व के बाला साहब ठाकरे ग्राउंड में हो रहा आयोजन

मुंबई. श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कथाकार देवकीनंद ठाकुर ने पुतना उद्धार, कृष्ण रुक्मिणी विवाह एवं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन सुनाया। महाराज ने कहा कि आज के समय में सबसे बड़ी सम्पत्ति शांति है। इसके लिए उन्होंने संसाद का भार उठाने से परहेज करने को कहा। संसार मेरा है, परिवार मेरा है, ये गाड़ी, मकान, दुकान मेरा है, इन सारी चीजों से शांति छीन जाने को लेकर आगाह किया। विश्व शांति सेवा समिति मुम्बई की ओर से भायंदर पूर्व के बाला साहब ठाकरे ग्राउंड में आयोजित कथा में महाराज ने कहा कि बिना साधना के भगवान का सानिध्य नहीं मिलता। द्वापर युग में गोपियों को भगवान श्री कृष्ण का सानिध्य इसलिए मिला, क्योंकि वे त्रेता युग में ऋषि-मुनि के जन्म में भगवान के सानिध्य की इच्छा को लेकर कठोर साधना की थी। शुद्ध भाव से की गई परमात्मा की भक्ति सभी सिद्धियों को देने वाली है। उन्होंने कहा कि गोपियों ने श्री कृष्ण को पाने के लिए त्याग किया परंतु हम चाहते हैं कि हमें भगवान बिना कुछ किये ही मिल जाये, जो की असम्भव है।
परीक्षित कथा का भी किया वर्णन

भागवत कथा में उन्होंने आगे कहा कि शुकदेव जी महाराज परीक्षित से कहते हैं, राजन जो इस कथा को सुनता है उसे भगवान के रसमय स्वरूप का दर्शन होता है, उसके अंदर से काम हटकर श्याम के प्रति प्रेम जाग्रत होता है। जब भगवान प्रकट हुए तो गोपियों ने भगवान से तीन प्रकार के प्राणियों के विषय में पूछा। एक व्यक्ति वो हैं जो प्रेम करने वाले से प्रेम करता है, दूसरा व्यक्ति वो है, जो सबसे प्रेम करता है, चाहे उससे कोई करे या न करे। तीसरे प्रकार का प्राणी प्रेम करने वाले से कोई सम्बन्ध नहीं रखता और न करने वाले से तो कोई संबंध हैं ही नहीं। आप इन तीनों में कौन से व्यक्ति की श्रेणियों में आते हो? भगवान ने कहा कि गोपियों! जो प्रेम करने वाले के लिए प्रेम करता हैं वहां प्रेम नही हैं वहां स्वार्थ झलकता है। दूसरे प्रकार के प्राणियों में हैं माता-पिता और गुरुजन। संतान भले ही मन में अपने माता-पिता के, गुरुदेव के प्रति प्रेम हो या न हो। लेकिन माता-पिता और गुरु के मन में पुत्र के प्रति हमेशा कल्याण की भावना बनी रहती है। लेकिन तीसरे प्रकार के व्यक्ति किसी से प्रेम नहीं करते। श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस द्वारिका लीला, सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष, व्यास पूजन पूर्णाहुति का वृतांत सुनाया जाएगा।

Home / Mumbai / भक्ति सभी सिद्धियों को देने वाली है

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो