शिवसेना नेता सरकार में एनसीपी की भूमिका पर भी सवाल उठाते रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 जून को बगावत की खबर मिलने के बाद उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री आवास वर्षा में देर रात बैठक बुलाई। इसके बाद 21 जून को उन्होंने मीटिंग बुलाई गई, जहां सभी चुने गए सदस्यों को मौजूद रहने के लिए कहा गया था। अब यहां कम उपस्थिति रहने के चलते कथित तौर पर सीएम उद्धव ठाकरे को कही ना कही ये आभास हो गया था कि हालात नियंत्रण के बाहर जा चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा देने का मन बना लिया था, लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उन्हें सामना करने के लिए कहा था।
सूत्रों के हवाले से मिली खबर के अनुसार इसी के चलते उद्धव ठाकरे ने सार्वजनिक तौर पर अपना सामान मुख्यमंत्री आवास से हटाया और अपने बेटों आदित्य और तेजस, पत्नि रश्मि के साथ मातोश्री पहुंच गए। खुफिया सूत्रों का कहना है कि योजना एक अच्छी विदाई की थी। उद्धव सोशल मीडिया पर सीएम पद छोड़ने के फैसले का ऐलान करना चाहते थे। लेकिन, शरद पवार ने उन्हें जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं लेने के लिए कहा। रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि इसके बाद भी सीएम उद्धव ठाकरे ने इसके बाद भी इस्तीफे देने का पूरा मन बनाया था।
एक वर्ग का मानना है कि शायद उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा ना देकर गलती की। इससे यह भी नजर आया कि एनसीपी अगुवाई कर रही है। बागी विधायकों के आरोपों की लिस्ट में भी यह बात शामिल है कि महाविकास अघाड़ी सरकार में एनसीपी अपनी शर्तें चलाती है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो उद्धव ठाकरे के एक करीबी के अनुसार उद्धव ठकरे को सीएम पद से तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए था। इससे न केवल अच्छी विदाई होती, बल्कि जनता की तरफ से अच्छी प्रतिक्रिया भी मिलती।
दूसरी तरफ उद्धव सरकार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 30 जून यानी कल फ्लोर टेस्ट के लिए कहा है। लेकिन शिवसेना इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फ्लोर टेस्ट के फैसले पर शिवसेना ने रोक की मांग की है। दरअसल राज्यपाल ने कल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है। जिसमें सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे के बीच फ्लोर टेस्ट होना है। जहां महा विकास अघाड़ी को बहुमत साबित करना पड़ेगा। जो कि नंबर गेम के कारण मुश्किल ही नजर आ रहा है।