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LockDown3.0: मजबूरी में हो रहा Online अध्ययन, अध्यापन, सभी को इसलिए छात्रों के भविष्य की चिंता…

छात्रों ( Students ) में एकाग्रता ( Concentration ) पर भारी असर ( Impact ), शिक्षक संघ ( Teachers Union ) भी ऑनलाइन पढाई ( Online Education ) पर उठा रहे सवाल ( Question ), शिक्षकों और छात्रों के बीच भौतिक संपर्क ( Physical Contact ) न हो पाना भी चिंता का विषय (Subject ) बना हुआ है

मुंबईMay 05, 2020 / 01:01 pm

Rohit Tiwari

LockDown3.0: मजबूरी में हो रहा Online अध्ययन, अध्यापन, सभी को इसलिए छात्रों के भविष्य की चिंता...

LockDown3.0: मजबूरी में हो रहा Online अध्ययन, अध्यापन, सभी को इसलिए छात्रों के भविष्य की चिंता…

रोहित के. तिवारी
मुंबई. राज्य में ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर सिर्फ ढिंढोरा ही पीटा जा रहा है, जबकि जमीनी हकीकत इससे इतर है। सरकार जहां एक ओर दावा कर रही है कि शिक्षकों की ओर से छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई शुरू करा दी गई है तो वहीं बीएमसी के ऐसे लाखों अभिभावक हैं, जिनके घर में इंटरनेट, स्मार्टफोन जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। वहीं पहले से ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर कोई नीति न होने के नाते अचानक इस विधि का प्रयोग किया जाना भी कहीं से मुनासिब नहीं लग रहा। वहीं लॉकडाउन के दरम्यान आनन-फानन में शुरू की गई ऑनलाइन पढ़ाई से कहीं न कहीं छात्रों में एकाग्रता के प्रति भारी प्रभाव देखा जा रहा है। वहीं महानगरपालिका के 1187 स्कूलों की बात करें तो इसमें पढने वाले छात्रों की जहां माली हालत ठीक नहीं होती तो वहीं ऑनलाइन पढ़ाई के लिए आवश्यक साधन जुटा पाने में भी उनके अभिभावकों की जे गवाही नहीं देती। वहीं दूसरी ओर शिक्षकों की यूनियनों ने सवाल उठाया है कि मनपा स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों के लिए प्राप्त करना असंभव हैं। जबकि शिक्षकों और छात्रों के बीच भौतिक संपर्क न हो पाना भी चिंता का विषय बना हुआ है।

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50 प्रतिशत छात्र ऑनलाइन कनेक्ट…
बीएमसी के शिक्षा विभाग के अध्यक्ष महेश पालकर की मानें तो बीएमसी के स्कूलों में जहां 9 हजार शिक्षक हैं तो वहीं एडेड और नॉन एडेड मिलाकर 11 हजार शिक्षक है, कुला 20 हजार शिक्षकों में 90 प्रतिशत शिक्षक छात्रों से आॅनलाइन कनेक्ट हैं। वहीं प्रत्येक स्कूल के मुताबिक, 50 प्रतिशत छात्रों आॅनलाइन कनेक्टिविटी है। वहीं बीएमसी के 2 लाख 71 हजार के अलावा प्राइवेट स्कूलों में करीब साढे 4 लाख यानी करीब सात लाख छात्रों में से 50 प्रतिशत छात्र ही आॅनलाइन कनेक्ट हो सके हैं।

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सिर्फ 30 प्रतिशत छात्र ही ऑनलाइन…
वहीं दूसरी सेकेंडरी स्कूलों का जहां शिक्षण सत्र खत्म हो गया है, वहीं जूनियर कॉलेज के लाखों बच्चों में करीब 30 प्रतिशत छात्र ही विभिन्न साधनों के माध्यम से ऑनलाइन पढाई कर पा रहे हैं। हाईफाई और अंग्रेजी माध्यमों के कॉलेजों की बात छोड दी जाए तो राज्य भर के विभिन्न सरकारी और प्राइवेट कॉलेज में भी ऑनलाइन साधनों की भारी कमी है। हालांकि बालभारती की ओर से जारी आंकडों पर नजर डालें तो राज्य भर के छात्रों ने केवल 15 दिनों में 35 लाख 53 हजार पुस्तकें डाउनलोड की गई हैं। इसमें 12 लाख 40 हजार लोगों ने 12 वीं कक्षा का नया पीडीएफ फॉर्मेट डाउनलोड किया है और पहली से 11वीं कक्षा के 23 लाख 13 हजार लोगों ने किताबें डाउनलोड की हैं।

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अभिभावक कर रहे मशक्कत…
यह सही है कि ऑनलाइन अध्ययन, अध्यापन से जहां छात्रों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड रहा है, वहीं राज्य भर के करीब 15 लाख से ज्यादा छात्रों में से 30 प्रतिशत छात्रों के इतर अन्य छात्रों को आॅनलाइन पढाई में भी काफी दिक्कतें हो रही हैं। पहले से निर्धारित स्टडी पैटर्न से आॅनलाइन पढाई संभव ही नहीं हो सकती। वहीं आनन-फानन में लिया गया यह निर्णय सिर्फ खानापूर्ति करने जैसा है, छात्रों को कुछ समझ में भी नहीं आ रहा है। जबकि इसके लिए घर में बैठे अभिभावकों को भी काफी मशक्कत का सामना करना पड रहा है।
– वैशाली बाफना, डायरेक्टर, सिसकॉम

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गुमराह कर रहा शिक्षा विभाग…
कोरोना के प्रकोप के चलते अधिकतर शिक्षक और छात्र अपने गांवों में हैं। ऐसे गंभीर परिस्थितियों के चलते छात्र ऑनलाइन अध्ययन कैसे करेंगे? क्योंकि सभी अभिभावकों के पास स्मार्टफोन है या नहीं, इसकी भी जानकारी हो पाना मुश्किल है। चलाए गए ऑनलाइन पाठ्यक्रम से ऐसे अभिभावकों के बच्चों का नुकसान होगा। शिक्षा विभाग केवल आदेशों का पुलिंदा बना रहा है, जबकि शिक्षा विभाग गुमराह कर रहा है।
– जलिंदर सरोदे, मुख्य कार्यकारी, शिक्षक भारती

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समिति की रिपोर्ट का इंतजार…
लॉकडाउन ने इस वर्ष नए शैक्षणिक वर्ष के कार्यक्रम में अस्पष्टता पैदा की है। यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग ने अकादमिक अनुसूची और परीक्षाओं का अध्ययन करने और समाधान सुझाने के लिए समितियों की नियुक्ति की थी। समिति के निर्णय के बाद ही राज्य में विभिन्न यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
– उदय सामंत, उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री

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सिर्फ कागजों पर बनाया जा रहा पुलिंदा…
बीएमसी के शिक्षा विभाग की ओर से सिर्फ खानापूर्ति मात्र ही किया जा रहा है, जबकि जमीनी हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। शिक्षा विभाग जहां आॅनलाइन शिक्षा का दावा कर रहा है, वहीं स्कूलों में ले रहे छात्रों के पास न तो मोबाइल है, जबकि अभिभावकों की माली हालत भी ऐसी नहीं होती कि वे घर में इंटरनेट, लैपटॉप आदि जैसे साधनों का वहन कर सकें। बीएमसी में आजकल बस कागजात का पुलिंदा ही बनाया जा रहा है तो वहीं दिखाने के लिए इक्का-दुक्का स्कूलों में ही यह प्रयोग किया जा सका है।
– रवि राजा, विपक्ष नेता, बीएमसी

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