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मुंबई

LockDown3.0: COVID-19 का कहर, हार्ट सर्जरी हो पा रही न किडनी ट्रांसप्लांट…

डायलिसिस ( Dialysis ) पर जिंदा हैं किडनी ( Kidney ) के मरीज ( Patient ), 385 को लीवर ( Lever ) और 14 को फेफड़े ( Lungs ) मिलने का इंतजार ( Waiting ), ट्रांसप्लांट ( Transplant ) यानी प्रत्यारोपण इसलिए नहीं हो पा रहा, क्योंकि अंग दान ( Organ Donation ) नहीं हो रहा है…

मुंबईMay 07, 2020 / 12:25 pm

Rohit Tiwari

LockDown3.0: COVID-19 का कहर, हार्ट सर्जरी हो पा रही न किडनी ट्रांसप्लांट...

LockDown3.0: COVID-19 का कहर, हार्ट सर्जरी हो पा रही न किडनी ट्रांसप्लांट…

रोहित के. तिवारी
मुंबई. कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए घोषित लॉकडाउन से न सिर्फ करोड़ों लोगों की नौकरी पर बन आई है बल्कि गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों का उपचार भी नहीं हो पा रहा है। ऐसे मरीज ज्यादा परेशान हैं, जो किडनी, हार्ट, लीवर और फेफड़े के ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं। ट्रांसप्लांट यानी प्रत्यारोपण इसलिए नहीं हो पा रहा, क्योंकि अंग दान नहीं हो रहा है। अकेले मुंबई में ही 3,692 लोग किडनी, 385 लीवर, 28 हार्ट और 14 लोग फेफड़ों के प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे हैं। चिकित्सकीय सेवा क्षेत्र से जुड़े लोग ट्रांसप्लांट को लेकर एक मत नहीं हैं। उनका कहना है कि फिलहाल पूरा ध्यान कोरोना और इमर्जेंसी सेवाओं पर है। ट्रांसप्लांट तो बाद में भी हो सकते हैं। ऐसे डॉक्टरों की भी कमी नहीं है, जो मानते हैं कि जरूरतमंदों के ट्रांसप्लांट पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि उनकी लिए जिंदगी बोझ न बन जाए।

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अंतिम फैसला जोनल ट्रांसप्लांट कमेटी

अंग प्रत्यारोपण के लिए गठित राज्य की टास्क फोर्स की बैठक हाल ही में हुई थी। इसमें अंग प्रत्यारोपण से जुड़ी मांग, मौजूद मरीजों की स्थिति के साथ ही कोरोना महामारी के प्रसार पर चर्चा हुई। टास्क फोर्स के प्रमुख डॉक्टर संजय ओक ने बताया कि बैठक में शामिल अधिकांश ने इस पर सहमति जताई कि कोरोना की चुनौती को देखते हुए ट्रांसप्लांट के मामले थोड़ा समय टाले जा सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच दुनिया भर में प्रत्यारोपण के मामले घटे हैं। डॉ. ओक ने कहा कि प्रत्यारोपण के बारे में अंतिम फैसला जोनल ट्रांसप्लांट कमेटी (जेडटीसीसी) करती है।

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अच्छा रहा पिछला साल
अंग दान के मामले में पिछला साल काफी अच्छा रहा। 2019 में 79 कैडवर डोनेशन मिले। इनके अंगों के प्रत्यारोपण से 222 लोगों की जान बचाई गई। मिली जानकारी अनुसार कैडवर डोनेशन घट गए हैं। मार्च, 2019 में 12 के मुकाबले इस साल केवल 6 कैडवर डोनेशन मिले हैं। इस साल अप्रेल में एक भी कैडवर डोनेशन नहीं मिला है। अंगदान में कमी के चलते चालू साल के दौरान एक भी हॉस्पिटल में ट्रांसप्लांट से जुड़े ऑपरेशन नहीं किए गए हैं। जेडटीसीसी के प्रमुख डॉ. एसके माथुर ने कहा कि जरूरत के हिसाब से प्रत्यारोपण करने चाहिए। कोरोना की मार से बुरी तरह आहत अमरीका और स्पेन में भी ट्रांसप्लांट किए गए हैं।

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जेडटीसीसी की अहम भूमिका
भारत में अंग प्रत्यारोपण के मामले में जेडटीसीसी की भूमिका अहम है। यह न सिर्फ जरूरतमंदों को प्रत्यारोपण के लिए अंग मुहैया कराता है। ट्रांसप्लांट से जुड़े नियमों का पालन भी संस्था कराती है। प्रत्यारोपण ठीक से हो, इसका ध्यान भी संस्था रखती है।

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अस्पताल खुद लें निर्णय
जेडटीसीसी प्रमुख डॉ. माथुर ने कहा कि ट्रांसप्लांट के बारे में अस्पताल खुद निर्णय लें तो बेहतर होगा। जसलोक हॉस्पिटल के डॉ. जेजी लाल मालानी के अनुसार अंग प्रत्यारोपण में भी जोखिम है। अध्ययन में सामने आया है कि लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होगी है, उन्हें अंग प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है।

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