मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिंदे गुट के प्रवक्ता दिपक केसरकर, दादा भुसे, गुलाबराव पाटील, संजय राठोड और संदिपान भुमरे खुद को मिले पोर्टफोलियो से नाखुश हैं। जबकि विभागों के आवंटन की लिस्ट जारी होने के बाद दादा भुसे (Dada Bhuse) का फोन स्विच ऑफ होने की जानकारी सूत्र दे रहे है।
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शिंदे कैबिनेट विस्तार में दादा भुसे को बंदरगाह और खनन विभाग, गुलाबराव पाटील को जलापूर्ति और स्वच्छता विभाग, दीपक केसरकर को स्कूली शिक्षा और मराठी भाषा का विभाग, संजय राठोड को खाद्य एवं औषधि मंत्रालय और संदिपान भुमरे दिया गया है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन और संदीपन भुमरे को रोजगार गारंटी योजना और बागवानी विभाग की जिम्मेदारी दी गयी है। जबकि बीते मंगलवार को हुए कैबिनेट विस्तार में जगह नहीं मिलने पर संजय शिरसाट और बच्चू कडू पहले ही नाराजगी जता चुके हैं। विपक्ष भी आरोप लगा रहा है कि बीजेपी ने अपने मंत्रियों को अहम विभाग दिए है। महाराष्ट्र का गृह और वित्त मंत्रालय देवेंद्र फडणवीस को खुद मिला है। जबकि सीएम शिंदे ने शहरी विकास एवं 11 अन्य विभाग अपने पास रखे हैं।
एकनाथ शिंदे सरकार में फडणवीस को गृह, वित्त और योजना विभागों के अलावा कानून और न्यायपालिका, जल संसाधन, आवास, ऊर्जा तथा प्रोटोकॉल विभाग की भी जिम्मेदारी दी गयी है। विपक्ष के आरोपों के बीच डिप्टी सीएम फडणवीस ने कहा कि बीजेपी और शिवसेना का एकनाथ शिंदे नीत खेमा जरूरत पड़ने पर अगले कैबिनेट विस्तार से पहले कुछ विभागों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।
उन्होंने रविवार को मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा “बीजेपी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच विभागों के आवंटन को लेकर कोई विवाद नहीं है। यदि जरूरत हुई तो हम अगले कैबिनेट विस्तार से पहले कुछ विभागों का आदान-प्रदान कर सकते हैं।”