scriptMaharashtra Political Crisis: शिवसेना को बीजेपी से दूर क्यों रखना चाहते हैं उद्धव ठाकरे? समझिए पूरा समीकरण | Maharashtra Crisis: Why Thackeray wants to keep Sena away from BJP | Patrika News
मुंबई

Maharashtra Political Crisis: शिवसेना को बीजेपी से दूर क्यों रखना चाहते हैं उद्धव ठाकरे? समझिए पूरा समीकरण

महाराष्ट्र का सियासी संग्राम फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। शिवसेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे मोर्चा संभाले हुए हैं। इस बीच, महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी ने भी एंट्री कर ली है। केंद्र सरकार ने शिवसेना के बागी विधायकों को वाई प्लस कैटेगरी की सुरक्षा दी है।

मुंबईJun 26, 2022 / 05:03 pm

Siddharth

Uddhav Thackeray Interview Slams Eknath Shinde

उद्धव ठाकरे ने इंटरव्यू में एकनाथ शिंदे की आलोचना की

महाराष्ट्र में सियासी संकट और भी गहराता जा रहा है। शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे की वजह से पार्टी में बिखर रही है तो वहीं महाविकास अघाड़ी सरकार की भी मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। दावा किया जा रहा है कि फिलहाल शिंदे गुट के पास शिवसेना के 37 से अधिक विधायकों का समर्थन हैं। यानी पार्टी के दो तिहाई विधायक शिंदे गुट के पास हैं तो ऐसे में वे पार्टी पर भी अपना दावा ठोंक सकते हैं।
इस पूरे मामले पर सियासी बयानबाजी भी लगातार जारी है। शिवसेना ने बागी विधायकों से सख्ती से निपटने का संदेश दिया है तो दूसरी तरफ उन्हें मनाने की कोशिश भी जारी है। इस सियासी लड़ाई में अब उद्धव की पत्नी रश्मि ठाकरे की एंट्री हो गई है। खबर है कि रश्मि ठाकरे ने बागी विधायकों की पत्नियों से फोन कर बात की है। हालांकि इसे लेकर कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है।
यह भी पढ़ें

Maharashtra Political Crisis: एकनाथ शिंदे गुट के लिए शिवसेना पर दावा पेश करना आसान नहीं! यहां जानें EC का नियम

बीजेपी से दूरी रखना चाहती है शिवसेना

शिवसेना ने 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी से दूरी बना ली है। पिछले दो विधानसभा चुनावों में शिवसेना से बीजेपी सीटों की संख्या और वोट शेयर दोनों के मामले में काफी आगे निकल चुकी है। करीब 1990 से 2004 तक शिवसेना विधानसभा चुनाव में बीजेपी से हमेशा आगे रही है। साल 2009 में पूरी कहानी बदल गई, पहली बार बीजेपी ने शिवसेना से दो सीटें अधिक जीती। इसके बाद 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 122 सीटों पर जीत दर्ज की, जो शिवसेना की 63 सीटों से लगभग दोगुनी थीं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2019 में दोनों पार्टियों के बीच सीटों की संख्या का अंतर थोड़ा कम हुआ। विधानसभा चुनावों में बीजेपी का वोटिंग परसेंटेज 1990 में 10.71% से बढ़कर 2019 में 25.75% हो गया। इसी दौरान, शिवसेना का वोट शेयर 15.94% से बढ़कर 16.41% हो गया।
साल 2004 में शिवसेना ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया था। 2004 में शिवसेना को 19.97% वोट मिले थे। 2014 के विधानसभा चुनावों में, बीजेपी ने 2009 के विधानसभा चुनावों की तुलना में लगभग 13.5% वोटों की वृद्धि दर्ज की और शिवसेना से आगे निकल गई। वहीं, लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी सीट शेयर के मामले में शिवसेना से आगे निकल गई है। पिछले दो लोकसभा चुनावों में, बीजेपी ने शिवसेना की 18 की तुलना में 23 सीटें जीती हैं।
इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि बीजेपी ने पिछले कुछ सालों में महाराष्ट्र में अच्छा प्रदर्शन किया है। शिवसेना के लिए ये चिंता का विषय है। हिंदुत्व की विचारधारा के मूल में, शिवसेना बीजेपी के साथ एक ही विचारधारा को साझा करती है। यही वजह है कि शिवसेना को अपने मौजूदा सहयोगियों – एनसीपी और कांग्रेस की तुलना में बीजेपी से अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

Home / Mumbai / Maharashtra Political Crisis: शिवसेना को बीजेपी से दूर क्यों रखना चाहते हैं उद्धव ठाकरे? समझिए पूरा समीकरण

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो