वहीं, एक चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि जवाहर तालुका के ईना गांव की 21 वर्षीय महिला को शनिवार-रविवार की दरमियानी रात को प्रसव की पीड़ा शुरू हुई। इस दौरान नजदीकी हॉस्पिटल के लिए कोई उचित सड़क संपर्क नहीं था, ग्रामीणों ने उसे एक ‘ढोली’ (अस्थायी स्ट्रेचर) में लेकर एक घने जंगल के माध्यम से सुबह लगभग 3 बजे पांच किलोमीटर तक पैदल ही ले गए।
बता दें कि सोशल मीडिया पर कुछ लोगों को जंगल के रास्ते महिला को ले जाते हुए दिखाया गया है। चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि महिला ने जंगल में बीच में ही एक बच्ची को जन्म दिया। ग्रामीणों ने बताया कि पालघर जिले के जवाहर तालुका में ऐना गांव है। इस गांव में सिर्फ आदिवासी लोग ही रहते हैं, इसलिए गांव को शहर से जोड़ने के लिए आज तक कभी सड़क ही नहीं बनी।
रविवार को मां और बच्चे को जवाहर पतंगशाह उप जिला हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ रामदास मराड ने बताया कि मां और बच्चा दोनों अब पूरी तरह से ठीक हैं। गांव एक दूरस्थ क्षेत्र में स्थित है और यहां सही सड़क उपलब्ध नहीं है। पिछले महीने, भारी बारिश के चलते यहां मोखदा तालुका के एक गांव में एक 26 वर्षीय गर्भवती आदिवासी महिला को उचित सड़क न मिलने की वजह से एक अस्थायी स्ट्रेचर में ले जाया गया था। मेडिकल सेंटर पहुंचने में देरी होने की वजह से महिला ने अपने जुड़वां बच्चों को जन्म के समय खो दिया।
दूसरी तरफ पालघर के जिला परिषद चेयरमैन वैदेही वधान ने ये बात स्वीकार किया कि इस रिमोट इलाके में अच्छी सड़क नहीं है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए गांव में उचित इंतजाम करने का आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य अधिकारियों को कदम उठाने और ऐसी घटनाओं से बचने का निर्देश दिया गया है।