बता दें कि बीजेपी बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की है। फ्लोर टेस्ट की मांग के खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। वहीं, शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे लगातार अपने समर्थक विधायकों की संख्या अधिक होने का दावा कर रहे हैं। शिंदे का दावा है कि उनके खेमे में 39 विधायक हैं। इसके अलावा 7 निर्दलीय विधायकों ने भी पत्र लिखकर उद्धव सरकार से समर्थन वापस लेने की बात कही है।
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं। शिवसेना के एक विधायक के निधन के बाद यह संख्या 287 है। ऐसे में बहुमत बनाने के लिए 144 विधायकों का समर्थन जरूरी है। महा विकास अघाड़ी के पास 169 विधायकों का समर्थन हासिल था। मौजूदा सरकार में शिवसेना के 55, एनसीपी के 53 और कांग्रेस के 44 विधायक शामिल थे। इसके अलावा सपा के 2, पीजीपी के 2, बीवीए के 3 और 9 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी सरकार के पास था। लेकिन शिवसेना में हुई बगावत ने ये सारा गणित बदल गया हैं। शिवसेना विधायकों का समर्थन खोने के बाद अल्पमत में आ चुकी है।
अब शिवसेना के 39 विधायक अब अलग होने का दावा कर रहे हैं, सरकार में मौजूद दो विधायक कोरोना पॉजिटिव हैं, जबकि सहयोगी एनसीपी के दो विधायक जेल में हैं। इसके अलावा प्रहार पार्टी के दो और 7 निर्दलीय विधायक भी महाविकास अघाड़ी सरकार से दूरी बनाने का फैसला कर लिया हैं। यानी कुल मिलाकर 52 विधायकों का हिसाब-किताब गड़बड़ा गया है।
दूसरी तरफ, विपक्षी दल बीजेपी के पास अपने विधायकों की संख्या 106 है। इसके साथ आरएसपी के 1, जेएसएस के 1 और 5 निर्दलीय विधायक पहले से बीजेपी के साथ है। बीजेपी के पास कुल 113 विधायकों का समर्थन है। अगर शिंदे खेमे को फ्लोर टेस्ट में वोटिंग से रोक दिया जाता है और निर्दलीय उद्धव सरकार से किनारा कर लेते हैं तो बहुमत के आंकड़ों को बीजेपी आसानी से हासिल कर लेगी। क्योंकि तब बहुमत के लिए केवल 121 विधायकों का समर्थन की जरूरत होगी। ऐसी स्थिति में बीजेपी के 113 विधायकों के साथ 16 निर्दलीय और अन्य विधायक भी बीजेपी को अपना समर्थन देने के लिए तैयार हैं।
एक रास्ता यह भी है कि शिंदे खेमे के पास दो-तिहाई विधायक हैं, इसलिए उनके खिलाफ दल-बदल कानून के तहत कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। ऐसे में बीजेपी का रास्ता उन्होंने और आसान कर दिया है। और वे सीधा नई सरकार में शामिल हो सकते हैं। अब ये देखने वाली बात होगी कि नंबरगेम किस तरफ करवट लेता है।