बता दें कि बीजेपी कार्यकर्ता सुभाष राजोरा ने अपनी शिकायत में कहा कि ट्वीट आक्रामक, अप्रिय और अंतर्निहित द्वेष और शरारत की बू आती है, जिसका उद्देश्य द्रौपदी मुर्मू की छवि और प्रतिष्ठा को खराब करना था। राजोरा ने इस शिकायत में 22 जून के ट्वीट्स का जिक्र किया है।
22 जून को फिल्म निर्माता ने रामगोपाल वर्मा ने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए लिखा था कि यदि द्रौपदी राष्ट्रपति हैं, तो पांडव कौन हैं? और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कौरव कौन हैं? हालांकि, इस ट्वीट के दो दिन बाद सोशल मीडिया पर भारी प्रतिक्रिया के बाद रामगोपाल वर्मा ने कहा कि उनका इरादा किसी को चोट पहुंचाने का नहीं था।
रामगोपाल वर्मा ने कहा कि यह सिर्फ एक बयाना विडंबना में कहा गया था और किसी अन्य तरीके से इरादा नहीं था। महाभारत में द्रौपदी मेरा पसंदीदा चरित्र है, लेकिन चूंकि नाम इतनी दुर्लभ है, इसलिए मुझे बस संबंधित पात्रों और इसलिए मेरी अभिव्यक्ति याद आई। किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का इरादा बिल्कुल नहीं था।
बीजेपी कार्यकर्ता ने शिकायत में कहा कि रामगोपाल वर्मा का यह ट्वीट अनुसूचित जाति के लोगों का अपमान करने के समान है और रामगोपाल वर्मा सोशल मीडिया पर इस तरह के विवाद, वरिष्ठ महिला राजनेता और झारखंड की पूर्व राज्यपाल के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करके हमेशा खबरों में रहने की कोशिश करते हैं। सुभाष राजोरा के वकील ने बताया कि पुलिस द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने से इनकार करने के बाद बीजेपी कार्यकर्ता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। बांद्रा कोर्ट मामले की सुनवाई 10 अक्टूबर को करेगी।