राष्ट्र संत ने कहा कि पुण्य के उदय के बाद ही गुरु अथवा संतों का सानिध्य मिलता है। साध्वी समृद्धि ने कहा कि यदि हमें सुखी रहना है तो अपने जीवन में पुण्य को बढ़ाना पड़ेगा। अपने स्वभाव में बदलाव लाना पडेगा। बेटर नेचर, ब्लॉकिंग नेचर, बीअरिंग नेचर, बाइंडिंग नेचर और ब्लेसिंग नेचर। इस तरह हमें अपने जीवन को आदर्शमय बनाना है, तो प्रवृत्ति में भी सुधार लाना जरूरी है। तभी हमारी आत्मा उच्च गति को प्राप्त होगी। मुनि शालिभद्र ने अपने सुमधुर भजन गायन से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। सभा का संचालन अशोक बाफना ने किया। इस अवसर पर भारी संख्या में श्राविक और श्राविका मौजूद रहे।