इस पर जस्टिस भारती डांगरे ने अभियोजन पक्ष को फटकार लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र सरकार 12 अगस्त तक इस युवक के मुआवजे को लेकर फैसला करे नहीं तो मुआवजे की राशि अदालत खुद तय करेगी। इस युवक ने बिना कोई अपराध किए पुरे डेढ़ साल जेल में बिताया था जिस पर उसने अदालत में मुआवजे की मांग की थी।
बता दें कि 2020 अक्टूबर में एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) को खबर मिली थी कि एक नाइजीरियाई युवक पवई के घोड़बंदर रोड पर कोकिन और नशीली गोलियां बेचने के लिए आया है। खबर मिलने के बाद एटीएस ने जाल बिछाकर नाइजीरियाई युवक को गिरफ्तार कर लिया। एटीएस के मुताबिक, इस युवक के पास 116.19 ग्राम कोकिन, 40.73 ग्राम केसर के रंग की गोलियां और 4.41 ग्राम एक्सटेसी की गोलियां बरामद हुई थीं। जिन्हे जब्त करने के बाद केमिकल अनालिसिस के लिए फोरेंसिक लैब में भेज दिया गया था।
केमिकल अनालिसिस की रिपोर्ट में आया कि युवक के पास से जो पदार्थ जब्त किया गया है वो कोकिन नहीं है और ना ही एक्सटेसी है बल्कि यह लिडोकैन, टपेनडोल और कैफिन है। फोरेंसिक लैब के असिस्टेंड डायरेक्टर ने रिपोर्ट में लिखा था कि लिडोकैन, टपेनडोल और कैफिन एनडीपीएस एक्ट के अंदर नहीं आता है।
नाइजीरियाई युवक के वकील अश्विनी अचारी ने निचली अदालत में इसकी सुचना देते हुए युवक की रिहाई की मांग की थी। लेकिन निचली अदालत ने यह कहते हुए युवक को रिहा नहीं किया कि 8 फरवरी 2021 को पेश की गई एटीएस की रिपोर्ट में मदाक पदार्थ मिलने का दावा किया गया है जिसके बाद नाइजीरियाई युवक ने बॉम्बे हाईकोर्ट में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी।