आगामी बीएमसी चुनाव में यह गठबंधन महाविकास अघाड़ी को चुनौती देगा। मिशन बीएमसी के लिए बीजेपी राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को साथ लेकर चुनावी मैदान में उतर सकती है। माना जा रहा है कि अमित शाह के इस दौरे से ही इस गठबंधन का श्री गणेश किया जाएगा। हालांकि इस मुद्दे पर दोनों पार्टी की तरफ से कोई बात सामने नहीं आई हैं।
बता दें कि गुरुवार को महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे से उनके आवास पर मुलाकात की। सीएम शिंदे और राज ठाकरे की इस मुलाकात से कई तरह से राजनीतिक कयास लगने शुरू हो गए हैं। इससे पहले राज्य के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवींस ने भी राज ठाकरे से मुलाकात की थी।
गठबंधन पर सहमति कोई एक या दो दिन में नहीं तय हुई है। बीजेपी के कई नेताओं ने राज ठाकरे के घर शिवतीर्थ पर आकर घंटों मुलाकातें की हैं। नफा-नुकसान के हर विषय पर चर्चा हुई है तब जाकर मामला गठबंधन के एलान तक पहुंचा है। बता दें कि मुंबई में इसी साल बीएमसी के चुनाव होने वाले हैं। जिसके चलते यह गठबंधन काफी अहम माना जा रहा है। बीजेपी इस बार शिवसेना को किसी भी कीमत पर बीएमसी की सत्ता नहीं देना चाहती हैं। जिसके लिए एमएनएस से गठबंधन पर मुहर लग सकती है।
बीजेपी-एमएनएस गठबंधन और शिंदे खेमा: बता दें कि मुंबई बीएमसी चुनाव के मद्देनजर यदि एमएनएस और बीजेपी का हुआ तब शिंदे खेमे के इच्छुक उम्मीदवारों का क्या होगा? शिंदे गुट के एक नेता ने बताया कि फिलहाल इस गठबंधन के औपचारिक एलान के आसार काफी कम हैं। जब तक यह तय न हो जाये कि इस बीएमसी चुनाव ने शिंदे खेमे की भूमिका क्या होगी? क्योंकि बीजेपी के लिए शिंदे गुट को भी नजरअंदाज करना संभव नहीं होगा। हालांकि बीजेपी नेता संजय पांडे कहते हैं कि देश की सभी हिंदुत्ववादी ताकतों को एकसाथ पीएम मोदी के साथ आना चाहिए। वहीं बीएमसी में बीजेपी नेता विनोद मिश्रा का मानना हैं कि बीजेपी अकेले ही यह बीएमसी चुनाव जीतने में सक्षम है लेकिन आलाकमान जो फैसला लेगा वह हम सबको मंजूर होगा।
बता दें कि पिछले बीएमसी चुनाव (साल 2017) में शिवसेना को 84 सीटें मिली थीं। जबकि बीजेपी ने 82 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस को 31, एनसीपी को 9 और एमएनएस को 7 सीटें मिली थी। इस चुनाव में शिवसेना और बीजेपी ने गठबंधन नहीं किया था। फिलहाल बीएमसी में 227 सीटें हैं और बहुमत के लिए 114 सीटों की आवश्यकता होती है। इसके पहले के चुनाव के शिवसेना को 75 सीटें मिली थीं जबकि बीजेपी को 31, कांग्रेस को 54 और एनसीपी को 13 सीटों से संतोष करना पड़ा था।