scriptMumbai News: 200 वर्ग फुट की झोंपड़ी में 30 बिल्लियों और तीन कुत्तों के साथ रहता है ये परिवार, कमाई का आधा बिल्लियों पर होता है खर्च | Mumbai News: This family lives with 30 cats and three dogs in a 200 sq ft hut, half of the earnings are spent on cats | Patrika News
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Mumbai News: 200 वर्ग फुट की झोंपड़ी में 30 बिल्लियों और तीन कुत्तों के साथ रहता है ये परिवार, कमाई का आधा बिल्लियों पर होता है खर्च

मुंबई के चेंबूर इलाके में बाबूलाल सुवासिया और उनका परिवार 30 बिल्ल्यिों और तीन कुत्‍तों के साथ छोटे से झोपड़ी में रहता है। उनके रूप त्वचा के रंग या व्यवहार के आधार पर रखा नाम। बाबूलाल सुवासिया की कमाई का आधा हिस्‍सा बिल्लियों की देख रेख में ही खर्च हो जाता है।

मुंबईJul 28, 2022 / 04:11 pm

Siddharth

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Chembur Family

मुंबई के चेंबूर इलाके में 200 वर्ग फुट की एक झोंपड़ी में बाबूलाल सुवासिया और उनका परिवार 30 बिल्लियों और तीन कुत्तों के साथ अपना गुजरा करता है। साल 2015 में बाबूलाल सुवासिया ने दो बिल्लियों को बचाकर अपने घर में रखा है। तब से वह लगातार बिल्लियों को अपने घर में आश्रय दे रहे हैं। अपने परिवार में बाबूलाल इकलौता कमाने वाला सदस्य है, चेंबूर में ही उनका एक छोटा सा रिटेल की दुकान है। उनकी पत्नी हाउस वाइफ हैं और उनके चार बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।
भले ही उसके लिए सुवासिया परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो, लेकिन बाबूलाल ने यह तय किया है कि इन आवारा जानवरों को पालेंगे और उनकी अच्छे से देखभाल करेंगे। बाबूलाल ने बताया कि उन दो बिल्लियों को मेरे पड़ोसियों और मेरी पत्नी ने बाहर कर दिया था लेकिन इन बेजुबान जानवरों को तकलीफ नहीं देखी गई, इसलिए हमने उन्हें गोद लिया। परिवार अब चेंबूर में अपनी 200 वर्ग फुट की झोंपड़ी में लगभग 30 बिल्लियों का पालन कर रहा है।
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बता दें कि इतना छोटा घर होने के बावजूद, सुवासिया परिवार ने उन बिल्लियों को गोद लिया जिनके साथ लोगों ने अच्छा नहीं किया और घायल कर सड़क पर छोड़ दिया। बाबूलाल ने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोगों ने अपनी बिल्लियों को उनके घर के सामने छोड़ दिया और वे उन्हें गोद लेने के अलावा मदद नहीं कर सके। इलाके के लोग बिल्लियों के प्रति मेरे लगाव के बारे में सब जानते हैं, इसलिए वे अपनी बिल्लियों को मेरे घर पर छोड़ देते हैं।
बता दें कि परिवार वालों ने सभी बिल्लियों के नाम रखे हैं। सुवासिया की पत्नी जो बिल्लियों को बच्चा लोग कह के बुलाती हैं, बाबूलाल ने कहा कि हम उनका नाम क्‍यों नहीं रख सकते, वे हमारे बच्चों की तरह हैं। उनका नाम उनके रूप, त्वचा के रंग या व्यवहार पर रखा गया है। ये बिल्लियां चिकन के अलावा दूसरा कुछ नहीं खाती है। लाकडाउन के दौरान, बाबूलाल को सभी बिल्लियों को पालने में बड़ी दिक्कत हुई थी। इन दिक्कतों का सामना करते हुए परिवार ने इन बिल्लियों का पूरा ख्याल रखा। बाबूलाल बिल्लियों के भोजन के लिए चिकन खरीदने के लिए 4-5 किलोमीटर पैदल चलकर जाते थे और चिकन लेकर आते थे।
बाबूलाल ने कहा कि हम अपने पैसे का उपयोग आवारा जानवरों को खिलाने और उनकी देखभाल करने के लिए करते हैं। हमें अभी तक किसी भी प्रकार का कोई मदद नहीं मिली है। मैं जो कमाता हूं उसका लगभग आधा पैसा इनके खर्चों को पूरा करने में चला जाता है। मैंने कई दोस्तों से इन जानवरों के लिए भोजन पर स्टॉक करने में मदद करने के लिए पैसे दान करने के लिए कहा है, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं मिली है।
परिवार की घरेलू पशु चिकित्सक बाबूलाल की बेटी अमीषा है। अमीषा का पालतू पशु से बड़ा लगाव हैं और घर में बिल्लियों की सभी चिकित्सा जरूरतों का ख्याल अमीषा ही रखती हैं। बाबूलाल का कहना है कि मुझे लगता है कि भगवान चाहता है कि मैं इन आवारा जानवरों की देखभाल करूं और इसी तरह मैं बाधाओं को दूर करने और उनकी देखभाल करने में पूरी तरह से समर्थ हूं। मेरी बाधाओं के बावजूद, मैंने यह सुनिश्चित किया है कि उन्हें रोजाना भोजन मिले। बाबूलाल अपना खुद का पालतू आश्रय गृह बनाना चाहते हैं।

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