केंद्रीय जांच एजेंसी ने शिवसेना के दिग्गज नेता संजय राउत को मुंबई की एक चॉल के पुनर्विकास में कथित अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में आरोपी बनाया है। अधिकारियों ने बताया कि रविवार को छापेमारी के दौरान 11.5 लाख रुपये नकद राशि जब्त की गई है। साथ ही कुछ प्रॉपर्टी के पेपर भी कब्जे में लिए गए है।
संजय राउत की क्यों हुई गिरफ़्तारी?
ईडी अधिकारियों ने दावा किया कि राउत जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे, जिसके कारण उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। ईडी ने इस कार्रवाई से पहले राउत के खिलाफ कई समन जारी किए थे, उन्हें 27 जुलाई को भी तलब किया गया था। लेकिन वह नहीं गए।
वहीं, 60 वर्षीय राउत ने दावा किया है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है और आरोप लगाया है कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के लिए निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने ईडी की कार्रवाई के कुछ ही देर बाद कल ट्वीट किया था, ‘‘मैं दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की सौगंध खाता हूं कि मेरा किसी घोटाले से कोई संबंध नहीं है। मैं मर जाऊंगा, लेकिन शवसेना को नहीं छोडूंगा।’’
क्या है मामला?
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बेहद करीबी और भरोसेमंद नेता संजय राउत को लेकर ईडी की जांच पात्रा चॉल के पुनर्विकास और उनकी पत्नी एवं कथित सहयोगियों की संलिप्तता वाले वित्तीय संपत्ति लेनदेन में अनियमितताओं के आरोपों से संबंधित है।
अप्रैल में ईडी ने इस जांच के तहत उनकी पत्नी वर्षा राउत और उनके दो सहयोगियों की 11.15 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया। कुर्क की गई संपत्ति में संजय राउत के सहयोगी और ‘गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड’ के पूर्व निदेशक प्रवीण एम राउत की पालघर, पालघर के सफले शहर और ठाणे जिले के पड़घा में स्थित जमीन शामिल है।
ईडी ने कहा था कि इन संपत्ति में मुंबई के उपनगर दादर में वर्षा राउत का एक फ्लैट और अलीबाग में किहिम बीच पर आठ भूखंड हैं जो संयुक्त रूप से वर्षा राउत और संजय राउत के करीबी सहयोगी सुजीत पाटकर की पत्नी स्वप्ना पाटकर के हैं।