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मुंबई

तीन दशक बाद भी वजूद तलाशती नारी की व्यथा में कोई बदलाव नहीं

सुनें कहानी -4: कथाकार चित्रा मुद्गल पर एकाग्र, इस हमाम में कहानी का पाठ किया गया

मुंबईApr 29, 2019 / 06:54 pm

Nitin Bhal

तीन दशक बाद भी वजूद तलाशती नारी की व्यथा में कोई बदलाव नहीं

तीन दशक बाद भी वजूद तलाशती नारी की व्यथा में कोई बदलाव नहीं

मुंबई. फिल्म कलाकारों, साहित्यकारों व हिंदी प्रेमियों से भरी अंधेरी पश्चिम के आभार हॉल में रविवार की शाम आयोजित एक समारोह में दुनिया कोअपनी रचनाओं से भाव से भर देने वाली चित्रा मुद्गल खुद भावुक हो उठीं। हर कोई अपलक उन्हें देख रहा था। अपनी मधुर और संयत आवाज में उन्होंने कहा, यह शहर मुंबई मेरी रगों में बसता है, इस शहर ने मेरे भीतर के कथाकार को जीवन दिया। यह मेरे संघर्ष का साथी है, यहीं से मुझे शक्ति मिली है। जब मैं यहां रहती थी तो यह बंबई हुआ करता था। पर मैं आज भी मुंबईकर हूं। हाल में ही चित्रा मुद्गल को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी उपलक्ष पर उनके सम्मान में विश्व हिंदी अकादमी की तरफ से सुनें कहानी-4 का अयोजन किया गया। इस अवसर पर उनकी कहानी इस हमाम में का पाठ प्रियंका चंदानी ने किया।
प्रियंका ने कहानी को इस तरह से पेश किया कि दर्शक दीर्घा में बैठे लेखक मुग्ध हो उठे। नारी की छटपटाहटों पर 1987 में लिखी यह कहानी आज की नारी का प्रतिनिधित्व करती है। सुदर्शना द्विवेदी ने इस कहानी की परत-दर-परत को दर्शकों के सामने खोल कर रख दिया। कहानी में एक नारी है, जो अपने वजूद की तलाश कर रही है। कई बार वह सोचती है कि उसकी नौकरानी का जीवन उससे बेहतर है। दुर्भाग्य है कि वर्षों पहले लिखी गई यह कहानी आज भी अक्सर सच के रूप में हमारे सामने आती रहती है। लगभग तीन दशक बाद भी नारी की छटपटाहट कुछ ऐसे ही है। इसके बाद अचला नगार ने चित्रा मुद्गल के साथ अपने आत्मीय संबंधों पर प्रकाश डाला।
कथाकार सूर्यबाला ने मुद्गल के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मुझसे पांच सात महीने छोटी है। पर आज भी झुककर मेरे पैर छूती हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि बच्चों को स्नेह देती है और बड़ो का आदर करती है। इसने इस शहर को बहुत कुछ दिया है, इसने इस शहर को जी भर के जिया है। आयोजक हरीश पाठक भी भाव से भर गए उन्होंने कहा कि मेरे साहित्यिक जीवन की मां हैं चित्रा मुद्गल। इन्होंने मुझे गढ़ा है। इसके बाद विश्वनाथ सचदेव, मनमोहन सरल, गोविंद नागर, अनंग देसाई जैसे कई लोगों ने चित्रा मुद्गल के साथ बिताए सुंदर पलों का पिटारा खोल दिया। देवमणि पांडेय ने कार्यक्रम का संचालन अपने अलहदा अंदाज में किया। इस अवसर पर शहर के जाने माने लेखक, पत्रकार, सिनेमा कलाकार और रंगकर्मी कथा श्रोता के रूप में मौजूद थे। केशव रॉय और हरीश पाठक के निमंत्रण पर माया गोविंद, अचला नागर, रेखा निगम, मधु कंकरिया, धीरेंद अस्थाना, शिल्पा शर्मा और अजय ब्रहमात्मज जैसे लोगों ने कथा सुनी और सराहा।

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