शिवसेना के शिंदे खेमे का पक्ष रखते हुए कौल ने कहा “हम पार्टी के भीतर एक बड़ी संख्या का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमने कभी नहीं कहा कि हम पार्टी की सदस्यता छोड़ देते हैं। यह स्पीकर द्वारा तय किया जाना है या दूसरा गुट (उद्धव ठाकरे) तय करेगा कि क्या यह स्वेच्छा से सदस्यता छोड़ना था।“
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इस दौरान उन्होंने यूपी में बसपा सरकार के मामले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा “तब विधानसभा भंग करने का निर्णय लिया गया। कोर्ट ने तब यह भी कहा था कि स्पीकर राजनीतिक पहलू की जांच नहीं कर सकते है।“ उन्होंने आगे कहा, “चिन्ह का आदेश भी हमारे जैसी स्थिति प्रदान करता है, जहां एक पार्टी के भीतर प्रतिद्वंद्वी अंश होते हैं। चिन्ह (चुनाव) किसी विधायक की संपत्ति नहीं है, यह चुनाव आयोग का फैसला होता है। लेकिन हमे इसका इस्तेमाल करने का कानूनी अधिकार होता है। आप (उद्धव गुट) आज चाहते हैं कि अदालत चुनाव आयोग को दी गई शक्ति का प्रयोग करने का फैसला करे। मैं इससे जुड़े कुछ निर्णय कोर्ट के समक्ष पेश करूँगा।“
शिवसेना के उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे ने अपनी याचिका में मांग की है कि चुनाव आयोग को शिंदे समूह के ‘असली’ शिवसेना के रूप में मान्यता देने के दावे पर कोई कार्यवाही नहीं करनी चाहिए। दरअसल शिंदे समूह ने दावा किया है कि उनके पास 40 से अधिक शिवसेना विधायकों का समर्थन है, इसलिए उन्हें ही असली शिवसेना घोषित की जाये। हालांकि अभी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई लंच के बाद शुरू होगी।