script‘उद्धव ठाकरे बाला साहब जैसे नहीं…’, एकनाथ शिंदे ने खोला राज, दो साल बाद बताई बगावत की वजह | Uddhav Thackeray does not want to become a kingmaker like Balasaheb says Eknath Shinde | Patrika News
मुंबई

‘उद्धव ठाकरे बाला साहब जैसे नहीं…’, एकनाथ शिंदे ने खोला राज, दो साल बाद बताई बगावत की वजह

Lok Sabha Elections 2024 : एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे का सपना पहले से मुख्यमंत्री बनना था।

मुंबईApr 22, 2024 / 03:21 pm

Dinesh Dubey

लोकसभा चुनाव के बीच शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे देवेंद्र फडणवीस समेत बीजेपी के कई बड़े नेताओं को जेल भेजना चाहते थे। शिंदे ने बताया की शिवसेना महाराष्ट्र की 16 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसमें मुंबई की तीन सीटें शामिल हैं।
जून में बतौर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कार्यकाल के दो साल पूरे हो रहे है। शिंदे ने उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के खिलाफ ‘विद्रोह’ का नेतृत्व किया था, जिससे महाविकास आघाडी (एमवीए) गठबंधन सरकार गिर गई और उद्धव को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने कहा कि उद्धव की अगुवाई वाली एमवीए सरकार जून 2022 में सत्ता से बाहर होने से पहले बीजेपी नेता आशीष शेलार, गिरीश महाजन, प्रवीण दरेकर और देवेंद्र फडणवीस को गिरफ्तार करके जेल भेजने की साजिश रच रही थी। उन्होंने कहा कि एमवीए बीजेपी विधायकों के एक वर्ग को पाला बदलने के लिए लुभाने का भी प्रयास कर रही थी।
एकनाथ शिंदे ने कहा कि उद्धव ठाकरे का सपना मुख्यमंत्री बनना था और एमवीए का गठन एक पूर्व नियोजित कदम था। उन्होंने कहा कि ठाकरे अपने पिता बाला साहब ठाकरे की तरह किंगमेकर बनने के बजाय किंग बनना चाहते थे।
शिंदे ने यह भी कहा कि एमवीए सरकार में मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल अपमान से भरा था, ठाकरे परिवार खासकर आदित्य उनके कामकाज में हस्तक्षेप करते थे। आखिरकार उनका धैर्य तब टूट गया जब उन्हें राज्यसभा सीटों के लिए चयन प्रक्रिया से बाहर रखा गया।
मालूम हो कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के अधिकांश विधायकों के जून 2022 में बगावत का बिगुल फूंका और भगवा पार्टी दो धड़ों में बंट गई। इसके चलते उद्धव ठाकरे नीत तत्कालीन एमवीए सरकार गिर गई थी। इसके बाद एकनाथ शिंदे बीजेपी के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने।
पिछले साल लंबी सुनवाई के बाद चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले धड़े को असली ‘शिवसेना’ नाम और चुनाव चिह्न ‘तीर धनुष’ आवंटित किया। जबकि उद्धव गुट को नया नाम शिवसेना (यूबीटी) और निशान ‘जलती मशाल’ मिला। अभी यह मामला शीर्ष कोर्ट में लंबित है।

2019 में आया सबसे बड़ा सियासी भूकंप

2019 के विधानसभा परिणाम के बाद महाराष्ट्र की सियासत में बड़ी उथल-पुथल मची थी। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा था। फिर अजित पवार ने फडणवीस के साथ 72 घंटे की सरकार बनायीं थी। इस दौरान एमवीए का गठन हुआ। एमवीए गठबंधन में कांग्रेस, एनसीपी (अविभाजित) और शिवसेना (अविभाजित) थी। फडणवीस और अजित पवार की सरकार के गिरने के बाद एमवीए ने सरकार बनायीं।
गौरतलब हो कि 2019 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बहुमत के बाद भी बीजेपी और शिवसेना गठबंधन सरकार बनाने में असफल रही। क्योकि दोनों सहयोगियों में मुख्यमंत्री पद को लेकर समझौता नहीं हो सका। तब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और बीजेपी का दशकों पुराना गठबंधन भी टूट गया। बाद में महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ हाथ मिलाया और 2019 में शिवसेना राजग (NDA) से भी बाहर हो गई। तीनों दलों ने महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी (एमवीए) सरकार का गठन किया था। दो साल पहले शिवसेना में फूट के बाद शिंदे ने बीजेपी से हाथ मिलाया और मुख्यमंत्री बन गए। पिछले साल अजित पवार की अगुवाई में शरद पवार द्वारा बनाई गई एनसीपी भी दो गुटों में बंट गई। अजित पवार के साथ एनसीपी के अधिकांश विधायक है।

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