महाराष्ट्र बोर्ड : इस तिथि से शुरू होंगी 10वीं और 12वीं की परीक्षा
महाराष्ट्र में 13 से 23 अप्रैल तक एमएचईटी सीईटी परीक्षा
केंद्रीय मंत्रालय ने अनुरोध किया अस्वीकार…
राष्ट्रीय शिक्षा परिषद ने टीईटी परीक्षा पास करने के लिए 13 फरवरी 2013 के बाद राज्य में नियुक्त शिक्षकों के लिए अनिवार्य कर दिया है। इसलिए जिन शिक्षकों ने टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है, उन शिक्षकों को समय का मुआवजा दिया गया है। शिक्षा परिषद को 31 मार्च 2019 तक टीईटी पास करने के लिए अर्हता प्राप्त करनी थी। राज्य सरकार ने केंद्रीय जनशक्ति विकास मंत्रालय से टीईटी पास करने के लिए अतिरिक्त अवसर देने का अनुरोध किया था, जिसके अनुसार अयोग्य शिक्षकों को सेवा से नहीं हटाने का निर्देश दिया गया था। हालांकि राज्य सरकार के अनुरोध को 3 जून 2019 के पत्र के माध्यम से केंद्रीय जनशक्ति विकास मंत्रालय की ओर से अस्वीकार कर दिया गया था। इसलिए सरकार के 24 अगस्त 2018 के फैसले के अनुसार, टीईटी असफल शिक्षकों को 25 नवंबर 2019 को अपनी सेवा समाप्त करने का आदेश दिया गया था। इसके बाद प्राथमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से प्रत्यक्ष कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
1 जनवरी 2020 से नहीं मिलेगा वेतन…
उल्लेखनीय है कि अब प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने इस मामले में कार्रवाई शुरू किए जाने की जानकारी की घोषणा की गई है। प्राथमिक शिक्षा निदेशक दत्तात्रय जगताप ने नगर आयुक्त, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, प्रभागीय उप निदेशक, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा अधिकारी इस मामले के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इस आदेश के अनुसार, 13 फरवरी 2013 के बाद नियुक्त शिक्षकों, यदि वे टीईटी परीक्षा पास नहीं की है, तो उन्हें 24 अगस्त 2018 के निर्णय के अनुसार उन्हें सेवा समाप्ति के आदेश बोलकर (स्पीकिंग ऑर्डर) दिया जाना चाहिए। इसके अनुसार, जिला परिषद और नगर निगम स्कूल के शिक्षकों की सेवा तुरंत समाप्त की जानी चाहिए। निजी शिक्षण संस्थानों के अनुदानित और वित्तविहीन विद्यालयों में शिक्षकों की सेवा को छोड़कर संबंधित संस्थानों को अपने स्तर पर कार्रवाई करनी चाहिए। पत्र में कहा गया है कि निजी संस्थानों की ओर से संबंधित शिक्षकों की सेवाएं समाप्त नहीं करने पर 1 जनवरी 2020 से सरकार की ओर से वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा।
शिक्षकों पर लटकी अब बेरोजगारी की तलवार…
निदेशालय के इस निर्णय के साथ राज्य में करीब आठ हजार शिक्षकों के लिए अपनी नौकरी खो देने का समय आने वाला है। इसलिए, अब शिक्षकों और प्रमुख संगठनों ने इस संबंध में एक आक्रामक स्थिति बनाई है। इस बारे में बात करते हुए मुंबई के प्रिंसिपल एसोसिएशन के सचिव प्रशांत रेडिज ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने आरटीई कानून और महाराष्ट्र की स्थिति के जानने के बावजूद इसे लागू करने के लिए बहुत समय लिया है, जिसके चलते हजारों शिक्षकों पर अब बेरोजगारी की तलवार लटकने वाली है। एक तरफ सरकार की ओर से नियुक्ति का आदेश देने और फिर इसे अवैध किए जाने का क्या मतलब है? शिक्षा के क्षेत्र में ऐसा जबरन नहीं होना चाहिए। उन्होंने मांग की कि शिक्षा विभाग को इस टीईटी की शर्तों के साथ उन सभी शिक्षकों के लिए एक विशेष मामले के रूप में बाहर करना चाहिए, जिनके लिए सरकार ने नियुक्ति की थी।
संबंधित अधिकारियों को आदेश…
नियमानुसार शिक्षकों को टीईटी परीक्षा पास करना अनिवार्य है। इसके बावजूद अभी तक राज्य भर के हजारों शिक्षकों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, जिसके चलते विभाग की ओर से संबंधित अधिकारियों को उन पर कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है। वहीं नियमों के मद्देनजर टीईटी अनुत्तीर्ण शिक्षकों को जनवरी से वेतन नहीं दिया जाएगा।
– दत्तात्रय जगताप, निदेशक, प्राथमिक शिक्षा