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मुंगेली

22 एकड़ का पैरावट जलकर खाक

ग्राम लाखासार में लगी आग

मुंगेलीMay 20, 2019 / 10:47 am

Murari Soni

Burning 22 acres of parquet

22 एकड़ का पैरावट जलकर खाक

लोरमी. तपती दोपहरी में लगातार आग लग रही है। पारा लगातार चढ़ता जा रहा है, पारा जैसे-जैसे चढ़ रहा है। क्षेत्र में आग लगने की घटना में भी इजाफा हो रहा है। विगत दो वर्षों में 200 से ज्यादा हेक्टेयर आग की चपेट में आकर अग्नि में समा चुके हैं। रविवार को फिर एक किसान के पैरावट में आग लग गई। इस आग से 22 एकड़ पैरावट जलकर खाक हो गया, लगातार लग रही आग से न तो ग्रामीण जागरूक हो रहे हैं और न ही प्रशासन इस पर कोई तैयारी करता है। न जाने प्रतिवर्ष लग रही आग से कितने एकड़ पैरावट जलकर खाक हो जाता है न तो इसका आकड़ा प्रशासन के पास है और न ही ग्रामीणों के पास, इस आग की घटना से नुकसान आखिर किसानों को ही उठाना पड़ रहा है।
मार्च माह शुरू होते ही लगातार आग लगने की घटना भी सामने आने लगती है, सबसे ज्यादा अप्रैल और मई माह में आग लगती है, पिछले वर्ष ज्येष्ठ की तपती दोपहरी में नवागांव गांव में भयानक आग लग गई थी। पूरा गांव जल रहा था, मवेशी से लेकर घरों घर में आग लग रही थी। जो पिछले वर्ष की सबसे बड़ी आपदा थी, इसके बाद क्षेत्र खपरीकला में गन्ने 70 एकड़ फसल पर आग लग गई थी। इस आग से पूरा गन्ना जलकर खाक हो गया था। किसी पैरावट जली तो किसी तिवरा तो किसी के खड़ी फसल खरही जलकर खाक हो गई थी। पिछले वर्ष 120 एकड़ से अधिक फसल सहित पैरावट व घर जल गये थे। इस वर्ष भी आग कम नहीं हुई है। लगातार आग लगती ही जा रही है। आग सिर्फ पैरावट व फसल को ही नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं, बल्कि मवेशी भी इस आग के अग्नि में समा गये हंै। पिछले वर्ष भी जिंदा अगल-अलग घटनाओं में 9 मवेशी बंधे हुये जल गये थे। इस वर्ष भी मनोहरपुर गांव में बंधे हुये 4 मवेशी जिंदा जल गये। इस वर्ष भी गन्ने की फसल जली है, लेकिन सबसे ज्यादा इस वर्ष पैरावट जले हैं। रविवार को ताजा घटना ग्राम लाखासार की है। इस आगजनी में जगत पिता घासी और भगत पिता घासी के यहां कोठार में रखे पैरावट में भयानक आग लग गयी, आग से पूरा पैरावट जलकर खाक हो गया। इससे पहले ग्राम घानाघाट में चिम्मन पिता मेंघवा सहित अन्य ग्रामीणों के लगभग 35 एकड़ से ज्यादा की फसल जलकर नष्ट हो गयी। आग लगने से सिर्फ पैरावट ही नहीं जलते बल्कि कभी कभी खड़ी फसल सहित दलहन-तिलहन की भी फसल भी जलकर नष्ट हो जाती है।
भीषण बाढ़ के लिए विशेष टीम तो आग के लिए क्यों नहीं
अमूमन जब भी बरसात में बाढ़ आती है, तब विशेष टीम तैयार रहकर लोगों को राहत पहुंचाती है, लेकिन जब बाढ़ से भी ज्यादा भयावह आग लगी होती है तो इसके लिए कोई भी टीम तैयार नहीं रहती है। जबकि इसमें भी लाखों हजारों जान माल की नुकसान हो जाता है लेकिन इसका बचाव के लिए उपाय नहीं करते हैं। क्षेत्र में विगत दो माह के अंदर आग लगने की सैकड़ों घटना सामने आयी, लेकिन दमकल महज 5 से 10 स्थानों में ही पहुच पाते हैं। दमकल की गाड़ी को फोन करने के बाद भी नहीं पहुंचती और पहुंचती भी है तो जब आग शांत हो चुकी होती है। कभी कभी तो यहां तक भी कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है कि दमकल में पानी नहीं है या फिर बिगड़ चुका है।
बघर्रा, कंचनपुर के जंगलो में लगी है आग
अचानकमार टाइगर रिजर्व के बघर्रा-कंचनपुर के जंगलों में विगत 5 दिन से भयानक आग लगी हुई है। आग लगातार बढ़ती जा रही है। भीषण गर्मी में वनकर्मी आग के पास जाना नहीं चाहते। वहीं बिलासपुर में बैठकर अधिकारी आराम फरमा रहे है। जंगल जल रहा है। लगातार आग लगने की बातें सामने आ रही है लेकिन इसका समुचित उपाय नहीं किया जा रहा है। पिछले 3 वर्षों में एटीआर के 300 से ज्यादा जगहों पर आग लग चुकी है। आग से प्राकृति संपदा का नुकसान हो रहा है। वहीं वन्य जीव पर खतरा शत् प्रतिशत रहता है। अधिकारी इस बात से भलिभांति परिचित हैं कि 15 फरवरी के बाद आग लगना शुरू हो जाती है। फरवरी से मई के अंतिम सप्ताह तक लगातार आग लगती है, लेकिन इसके बाद भी समुचित उपाय नहीं किया जाता।
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