धारा 144 के बावजूद सुमित एनकाउंटर पर समाजवादियों का प्रदर्शन, अब नपेंगे आयोजक
इस पर चरथावल थाना प्रभारी गिरीश चंद शर्मा ने बताया कि परिजनों ने खुद ही जंजीर डाली थी, लेकिन मदरसे के संचालक को को इस तरह के कृत्य से बचना चाहिए था। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों को चेतावनी देकर मामले में समझौता करा दिया गया। बच्चे की हरकतों से तंग आकर बेबस मां ने उसे जंजीर में बांधकर तालीम हासिल करने के लिए मदरसे में छोड़ दिया था। कानून बाल अपराध की इजाजत तो नहीं देता। मगर बाद में पता चला कि एक मां की पीड़ा और बेटे को सुधारने की इच्छा के चलते अपने कलेजे पर पत्थर रखकर यह कदम उठाया था, क्योंकि यह क्रूर कदम उठाने वाली मां की आंखों में आंसू थे। गांव और क्षेत्र के लोगों की सलाह पर पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की और बच्चे को उसके घर छुड़वा दिया। साथ ही दोनों पक्षों को फिर से ऐसा नहीं करने की हिदायत दी। गांव पहुंची साहिल की मां ने बेटे की तमाम हरकतों को एक-एककर बयां किया। आंखों में आंसू लिए बताया कि बेटे की गलत संगत से तंग आ चुकी हूं। साहिल 12 साल का है, लेकिन उसे नशे की गलत आदत पड़ गई। उसकी इन हरकतों के कारण एक बेबस मां ने मजबूर होकर उसे जंजीरों में जकड़ दिया, ताकि वह सुधर जाए और तालीम के लिए निरधना गांव के मदरसे में छोड़ गई थी। मदरसे में साहिल तालीम हासिल करने के बजाए चकमा देकर बाहर आ गया था।