यहां बतादें कि विशेष जांच दल (एसआईटी) के अधिकारियों के अनुसार अदालत ने सभी आरोपियों को 19 जनवरी 2018 तक पेश होने के लिए कहा था। एसआईटी ने आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 153 ए के तहत अपमानजनक भाषण देने के आरोप में मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी और राज्य सरकार ने इसकी अनुमति दे दी थी। SIT ने आरोप लगाया कि इन आरोपियों ने 2013 की महापंचायत में भाग लिया था और अगस्त 2013 के आखिरी सप्ताह में अपने भाषणों के माध्यम से हिंसा फैलाई थी। आरोपियों के खिलाफ कथित रूप से कानून का उल्लंघन करने, सरकारी कर्मचारियों को काम न करने देने और गलत गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में मामला दर्ज है। इसके अलावा आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत भी मामला दर्ज हैं। बता दें कि 2013 के अगस्त और सितंबर में मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा की वजह से 60 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और 40,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे।