वर्ष – कुल नमूने – फेल – कोर्ट में पेश – विशेष विवरण
2017 – 86 – 34 – 34
2018 – 131 – 44 – 44 – 20 प्रकरणों में कोर्ट ने 3 लाख 31 हजार का जुर्माना लगाया।
2019 – 159 – 56 – 56 – 11 प्रकरणों में कोर्ट ने 2 लाख 40 हजार जुर्माना लगाया।
2020 – 131 – 30 – 15 – 15 अनुसंधान में है तथा 25 की रिपोर्ट आनी है।
अभियान में मुख्य रूप से दूध, मावा, पनीर एवं अन्य दुग्ध उत्पादों, आटा, बेसन, खाद्य तेल व घी, सूखे मेवे तथा मसालों की जांच की जाती है।
इस बार खाद्य सामग्री में निर्माता द्वारा स्वास्थ्य के लिए असुरक्षित और जीवन को संकट में डालने वाला मिलावटी पदार्थ डाले जाने की सूचना देने वालों को सूचना सही पाए जाने पर 51 हजार रुपए की पुरस्कार राशि दी जाएगी। इस राशि का वितरण जिला कलक्टर द्वारा फूड टेस्टिंग लैब की जांच के उपरान्त निष्कर्ष प्रमाणित करते हुए सूचना देने वाले की पहचान को गोपनीय रखते हुए किया जाएगा।
जांच में निम्न गुणवत्ता व असुरक्षित पाए जाने वाले नमूनों के मामले न्यायालय में पेश किए जाते हैं, जहां विक्रेताओं पर जुर्माना लगाया जाता है। लेकिन यह प्रक्रिया इतनी धीमी गति से होती है कि जांच रिपोर्ट आते-आते मिठाई या खाद्य पदार्थों का उपयोग हो चुका होता है। इसके बाद यदि जांच रिपोर्ट में निम्न गुणवता या मिस ब्रांड भी साबित हो जाए तो केवल जुर्माने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं होती। गौरतलब है कि जुर्माना राशि 35 हजार रुपए है। कुल मिलाकर आमजन के स्वास्थ्य की सुरक्षा खतरे में है।
खाद्य पदार्थों की जांच की कार्रवाई वर्ष भर जारी रहती है। इस बार सराकर ने अन्य विभागों के अधिकारियों को भी टीम में शामिल किया है, जिससे कार्रवाई में तेजी आएगी।
– राजेश जांगीड़, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, नागौर