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नागौर

आखिरकार सालों बाद आयुर्वेद पर हुई सरकार की मेहरबानी

आयुर्वेद विभाग में लंबे समय के बाद चिकित्साधिकारियों को प्रमोशन के साथ मिली तैनातगी, अधिकारियों ने कहा पहली बार विभाग पर हुई सरकार की मेहरबानी

नागौरAug 22, 2018 / 12:26 pm

Sharad Shukla

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नागौर. पहली बार राजकीय आयुर्वेदिक विभाग में जिले के दो दर्जन से अधिक चिकित्साधिकारियों को सीनियन मेडिकल आफिसर ग्रेड सेकण्ड बनाने के साथ ही उन्हें तैनातगी भी दे दी गई है। उपशासन सचिव कुंदन कुमार माथुर की ओर से जारी सूची में डॉ. ओमप्रकाश गौड़ को तरनाऊ, डॉ. ओमप्रकाश शर्मा को पीपलाद, डॉ. निरंजन कुमार मिश्रा को कोलिया, डॉ. सत्यप्रकाश शर्मा को भैरुंदा, डॉ. कृष्णदत्त शर्मा को नोखा चांदावता, डॉ. दुर्गाशंकर कुमावत को मंगलाना, डॉ. सुरेशसिंह चौहान को डोडियाना, डॉ. दामोदरदास पाटोदिया को सोमणा, हरेराम शर्मा को शिवदानपुरा, डॉ. गोपाल तिवाड़ी निंबड़ीकलां, डॉ. दशरथ कुमार शर्मा को श्यामगढ़, डॉ. राजेन्द्र कुमार मिश्रा को मिंडासरी, डॉ. अजय शर्मा को गोठमांगलोद, डॉ. सुभाषचंद्र शर्मा को भैयाकलां, डॉ. बालकृष्ण शर्मा को रेण, डॉ. जयप्रकाश शर्मा को लाडनंू, डॉ. नवरतन शर्मा को पुंदलू, डॉ. माणकचंद गौड़ को छिलो, डॉ. धर्मचंद शर्मा केा स्यामसर, डॉ. कमलकिशोर उपाध्याय को जोधियासी, डॉ. धीरेन्द्र कुमार शर्मा को करणू, डॉ. महेश कुमार मिश्रा को रूण, डॉ. गोपाल शर्मा को खजवाना, डॉ. संपूर्णानंद लाटा को घाटवा, डॉ. रामस्वरूप शर्मा को हुडील, डॉ. सत्यप्रकाश को बूडसू, डॉ. लखनचंद मीणा को बग्गड़, डॉ. राधेश्याम मीणा अािद को छोटी एसएमओ बनाने के साथ छोटीखाटू केन्द्र पर तैनातगी दी गई है। सभी को 31 अगस्त तक पदभार ग्रहण कर मुख्यालय रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
लंबे समय के बाद प्रमोशन के साथ मिली तैनाती
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अन्य विभागों में तो अधिकारियों व कर्मचारियों के प्रमोशन के साथ उनकी तैनातगी होती रहती थी, लेकिन आयुर्वेद विभाग में यह पहली बार की गई है। इससे चिकित्साधिकारियों को लंबे समय के बाद राहत मिली है। इधर जिले में चिकित्साधिकारियों के स्थानांतरण एवं उनकी पदोन्नति को लेकर विभाग में अधिकारी उत्साहित नजर आए। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सरकार ने आखिरकार लंबे समय के बाद उनकी सुध ली। अन्य विभागों की तर्ज पर उनके विभाग में भी यथासमय पदोन्नति की प्रक्रिया सुचारु रहनी चाहिए थी, लेकिन नहीं हुई। इसकी वजह से कइयों को कई साल काम करने के बाद भी यथायोग्य स्थान नहीं मिल पाया।

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