सहकारी बैंकों में सरकार की हिस्सा राशि पूरी नहीं थी। इसके चलते सहकारी बैंकों की हालत कमजोर थी। वर्तमान सरकार ने विधानसभा में घोषणा की थी कि सभी बैंकों को हिस्सा राशि दी जाएगी, ताकि उनका सीआरएआर ठीक रहे। सरकार ने सीआरएआर के लिए करीब सवा सौ करोड़ सभी सहकारी बैंकों को दिया है।
गत वर्ष बैंक में गड़बड़ी होने पर गत वित्तीय वर्ष में बैंक ने अपने कागजों में गड़बड़ी कर सीआरएआर (जोखिम भारित आस्तियों के प्रति पूंजी अनुपात) नौ प्रतिशत बताया। यह अनुपात बैंकिंग लाइसेंस के लिए जरूरी होता है। अल्पकालीन कृषि ऋण के लिए रिफाइनेंस करने से पहले नाबार्ड ने बैंक की पड़ताल की तो सामने आया कि सीआरएआर 9 प्रतिशत नहीं है। बैंक के रिकॉर्ड को गलत बताते हुए नाबार्ड ने रिफाइनेंस रोक दिया। बैंक के पास किसानों को कर्ज देने के लिए रकम नहीं थी। ऐसे में अपेक्स बैंक से इकॉनोमिक लैंडिंग रेट पर 8.65 प्रतिशत की दर से करीब 90 करोड़ रुपए लेकर किसानों को लोन बांट दिए। चौंकाने वाले तथ्य यह है कि ऊंची दर पर उधार लेकर लोन मात्र 5 प्रतिशत की दर पर बांट दे दिया। बैंक की करतूत पर निरीक्षण करने वाली अपेक्स बैंक की टीम ने भी वस्तुस्थिति सामने नहीं रखी।
बैंक अधिकारियों द्वारा की गई गड़बड़ी से किसानों को दिए जाने वाले फसली ऋण पर संकट आ गया है। विभाग ने सभी जिला बैंकों को एक अप्रेल से अल्पकालीन ऋण बांटने के निर्देश दिए हैं। वर्तमान स्थिति में नागौर में ये ऋण नहीं बांट सकते। ऋण के लिए आवश्यक बजट नहीं है। नाबार्ड पहले ही रिफाइनेंस रोक चुका है। अपेक्स बैंक से नागौर सीसीबी पूर्व में ही करोड़ों रुपए ले चुकी है। ऐसे में जिले के किसानों को ऋण नहीं मिलेगा।
अपेक्स बैंक एमडी ने नागौर एमडी पीपी सिंह के साथ बैंक को निरीक्षण करने वाली अपेक्स बैंक की टीम को भी नोटिस दिया है। सकारी समितियों के रजिस्ट्रार ने अजमेर खंडीय रजिस्ट्रार को पूरे प्रकरण की जांच सौंपी है।