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VIDEO…पशु पालक बोले: ट्रेन का संचालन शुरू कराए सरकार नहीं तो रामदेव पशु मेला पर लग जाएगा ग्रहण

फरवरी में होने वाले विश्वस्तरीय रामदेव पशु मेला में पशुओं के परिवहन के लिए ट्रेन संचालन सुविधा चालू कराने की कवायद शुरू

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Nagaur news

Nagaur. About twenty years ago, booking for animal transportation by train was done from this same building.

-इस माह होने वाली पशु मेला की बैठक में पशु पालन विभाग जिला कलक्टर के साथ इस मुद्दे पर करेगा चर्चा
-ट्रेनों का संचालन शुरू नहीं होने पर रामदेव पशु मेला के राजस्व के साथ ही पालकों को भी प्रति पशु हो रहा हजारों का आर्थिक नुकसान, और गंतव्यों तक पहुंचने के दौरान सुरक्षा सरीखी तमाम दिक्कतों का करना पड़ता है सामना
-तकरीबन 20 साल पहले रामदेव पशु मेला से ही पशुओं के परिवहन के लिए रवाना होती थी ट्रेन, इससे पशु मेला का राजस्व भी बढ़ता रहता था
नागौर. बीस साल पहले रामदेव पशु मेला से पशुओं की खरीद-फरोख्त कर पशु को ले जाने के लिए पशु मेला प्रदर्शनी स्थल के पास ही ट्रेन का संचालन होता था। होने की वजह से रामदेव पशु मेला का व्यापार भी बेहतर होता था। अब ऐसा नहीं रहा। किन्हीं कारणों से बंद हुई ट्रेन की सुविधा पिछले पांच से छह सालों के दौरान फिर से बहाल कराने का प्रयास किया गया, लेकिन ऐन मौकों पर कोई न कोई अड़चन आने के कारण इसमें अब तक सफलता नहीं मिल पाई। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि उनकी ओर से इस बार भी इसके लिए प्रयास किया जाएगा। जिला कलक्टर के साथ इसी माह मेला के संदर्भ में होने वाली बैठक में भी ट्रेन संचालन से जुड़े विषयों पर चर्चा की जाएगी। प्रयास रहेगा कि ट्रेन का फिर से संचालन हो सके। संचालन शुरू हो गया तो फिर पशुओं को अन्यत्र दूरस्थ स्थानों व क्षेत्रों में ले जाने वाले पशु पालकों को आर्थिक लाभ के साथ ही रास्तों में आने वाली तमाम दिक्कतों से भी पूरी तरह से छुटकारा मिल जाएगा।
पशु पालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार ट्रेन का संचालन शुरू कराने के लिए रेलवे विभाग को ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। रेलवे की पटरी तो बिछी हुई है। बस इसे व्यवस्थित कर पशुओं के अनुकूल आंशिक रूप से आवश्यक व्यवस्थाएं जरूर करनी होगी। पशु पालन विभाग के अधिकायिों का कहना है कि रेलवे सकारात्म रूख दिखाता है तो उसे राजस्व का फायदा मिलेगा। पिछली बार पशु पालन विभाग की ओर से नागौर के सांसद ने भी रेलवे विभाग से बातचीत कर लिखित रूप से देने के साथ ही रेल विभाग से एक ट्रेन उपलब्ध कराए जाने का आग्रह किया था। लगातार रेलवे के अधिकारियों से हुई बातचीत व पत्राचार से पशु पालन विभाग को उम्मीद बंधी थी कि ट्रेन मिल जाएगी, लेकिन ऐन मौके पर पता चला कि रेलवे ने ट्रेन संचालन की अनुमति नहीं दी है। इससे पशु पालकों को झटका लगा था। अब मेला आयोजन महज डेढ़ से देा माह का समय शेष रह गया है। ऐसे में पशुओं को बेहतर परिवहन सुविधा उपलब्ध कराए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है। पशु पालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 20 दिसंबर तक जिला कलक्टर के साथ रामदेव मेला से जुड़े विषयों पर पहली बैठक होगी। बैठक में मेला से जुड़े विषयों पर चर्चा करने के साथ ही ट्रेन संचालन शुरू कराने पर भी बातचीत की जाएगी।
ट्रेन का संचालन नहीं होने पर यह समस्याएं होती है
विश्व प्रसिद्ध रामदेव पशु मेला में देश के विभिन्न राज्यों से लोग अपने पशुओं को लेकर न केवल आते हैं, बल्कि यहां से पशु खरीदकर ले भी जाते हैं। विशेषकर नागौरी बैल की मांग देश भर में बनी हुई है। बाहर से आने वाले पशु पालक ट्रेन की सुविधा के अभाव में व्यक्तिगत स्तर पर गाडिय़ों की व्यवस्था कर जाते हैं। पशुपालकों को रास्ते में कई जगहों पर जांच के नाम पर अत्याधिक परेशान किया जाता है। इसमें सरकारी एवं गैर सरकारी दोनों ही तरह के लोग होते हैं। कई बार तो पालकों के साथ मारपीट तक हो जाती है। ऐसे में डरे-सहमे पशु पालकों से जमकर वसूली की जाती है। इसको लेकर पालक पशु मेला के अधिकारियों से अपनी चिंता भी कई बार जता चुके हैं, लेकिन अधिकारी भी यह कहकर अपने हाथ खड़े कर लेते हैं कि उनके अधिकार क्षेत्रों से बाहर का मामला है। ऐसे में पशु पालकों को अपने सुविधा शुल्क चुकाकर ही अपने गंतव्यों तक पहुंचना पड़ता है।
ट्रेन का संचालन शुरू हुआ तो यह सुविधा मिलेगी, मेला को भी गति मिलेगी
ट्रेन का संचालन शुरू होने की स्थिति में न केवल पशु मेला में राजस्व बढ़ेगा, बल्कि गाडिय़ों पर अत्याधिक व्यय भार से भी राहत मिल जाएगी। ट्रेन की अपेक्षा गाडिय़ों पर आठ से दस गुना ज्यादा मंहगा किराया व्यय करना पड़ता है। जबकि ट्रेन में बेहद रियायती दर पर आराम से और सुरक्षित स्थिति में पशुओं का परिवहन गंतव्यों तक होगा। ट्रेन परिवहन की सुविधा शुरू होने की जानकारी अन्य पालकों तक पहुंचेगी तो फिर मेला में आने व पशुओं को ले जाने में सहजता होने की सुविधा मिलने के बाद फिर पालकों की भी अपने पशुओं के साथ आवक भी बढ़ जाएगी। इसके पीछे आधार यही बताया जाता है कि पूर्व के समय में ट्रेन संचालन के दौरान पूरी पशुओं से भरी ट्रेन यहां से रवाना होती थी।
पशु पालकों की इच्छा है कि ट्रेन का संचालन पुन: हो
विश्वस्तरीय रामदेव पशु मेला में अपने पशुओं के साथ राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों के पालक पहुंचते हैं। अभी उनको पशुओं का परिवहन करने के लिए व्यक्तिगत स्तर पर बेहद खर्चीला मामला बन जाता है। इसके साथ ही गाडिय़ों में तमाम तरह की दिक्कतें भी आती है। ऐसे में ट्रेन से पशुओं के परिवहन की सुविधा शुरू होने पर निश्चित रूप से पशु मेला को फिर से उसकी पुरानी पहचान मिल सकती है।
रूसी जाट, पशुपालक
पहले ट्रेन से पशुओं का परिवहन आज से बीस साल पहले जब होता था तो रामदेव पशु मेला भी गुलजार नजर आता था। अब तो परिवहन सुविधा के अभाव में मेला पर भी इसका तेजी से असर पड़ा है। पशुओं को ले आने, और ले जाने में आने वाली दिक्कतों के चलते कई पशु पालक तो अब मेला में आने से हिचकने लगे हैं। जिला प्रशासन को प्रयास करना चाहिए कि रामदेव पशु मेला से पुन: ट्रेनों का संचालन शुरू हो सके। मेला का पुराना गौरव फिर से लौट सकता है। मेला और बेहतर हो सकता है, बशर्ते जिम्मेदार भी गंभीर हो जाएं इसके लिए।
भंवरू जाट, पशु पालक
रामदेव पशु मेला अब पहले जैसा नहीं रहा। इसका मुख्य कारण राज्य सरकार की उदासीनता है। प्रशासन भी पशु मेला में ट्रेनों का संचालन कराने के लिए ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेता है। जबकि यह पशु मेला राजस्थान के सुप्रसिद्ध पशु मेलों में एक है। इसलिए यदि प्रशासन पूरी दिलचस्पी के साथ पशु मेला में से पशुओं के परिवहन के लिए ट्रेनों की सुविधा शुरू कराने के लिए प्रयास करे तो निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। ऐसा हुआ तो फिर मेला का राजस्व भी काफी बेहतर हो जाएगा। यह सभी जानते हैं, फिर भी लोगों के प्रयास जीरो रहते हैं।
शिव चौधरी, पशु पालक
प्रदेश के विकास में मुख्य भूमिका किसानों की होती है। ज्यादातर हर किसान पशु पालक भी होता है। नागौरी बैल की मांग पूरे देश में है। पशुओं के मामले में हम देश के कई राज्यों से आगे जरूर हैं, लेकिन पशुपालकों को सुविधा देने के मामले में काफी पीछे हैं। सरकार हो या प्रशासन, दोनों ही उदासीन रहते हैं। राजनीतिक दलों के नेता यूं तो जरा सी बात पर सडक़ों पर भीड़ इकट्टी कर लेते हैं, लेकिन इस मामले को लेकर कौन से नेता ने भीड़ इकट्टी की, और प्रदर्शन किया। कारण स्पष्ट है कि यह नेता भी केवल खानापूर्ति कर प्रदेश का ही नुकसान करते हैं।
धनराज, पशु पालक